कवितासामाजिक

झुकना नहीं गँवारा है


झुकना नहीं गँवारा है,
शिर कटता है तो कट जाए।
देश बचाने में चाहे,
तन छूटता है तो छूट जाए।।

हिंद के माटी के सपूत,
हम जाने किस मिट्टी के बने।
अपयश देने वालों के,
जीवन रक्षक आधार बने।।

लाशें कितनी गिरी धरा पर,
माया, ममता, केजरी ना जाने।
राहुल तो बच्चा है जी,
जे. पी. के मुलायम ना जाने।।

गिनती तो यहां करोड़ों है,
जो लिए कटार बढ़े हम पे।
हम सेना है, पर मानव है,
हाँ दर्द उठा हर चोंटो पर।।

हर आलोचक से कहता हूँ,
दो रात गुजारो साथ मेरे।
बंदूकों की शोर सुनो,
बिंदास चलो घनघोर अँधेरे।।

तुम वाणी नहीं सह पाते हो,
हम पत्थर की चोट सहे।
तुम दगाबाज हो, धोखेबाज हो,
बेशर्म तुम्हें हम क्या कहें।।

सेना के मनोभाव को,
मैं “प्रदीप” बतलाता हूँ।
हर स्वार्थी जल्लादों को,
मैं आईना  दिखलाता हूँ।।

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।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं