झुकना नहीं गँवारा है
झुकना नहीं गँवारा है,
शिर कटता है तो कट जाए।
देश बचाने में चाहे,
तन छूटता है तो छूट जाए।।
हिंद के माटी के सपूत,
हम जाने किस मिट्टी के बने।
अपयश देने वालों के,
जीवन रक्षक आधार बने।।
लाशें कितनी गिरी धरा पर,
माया, ममता, केजरी ना जाने।
राहुल तो बच्चा है जी,
जे. पी. के मुलायम ना जाने।।
गिनती तो यहां करोड़ों है,
जो लिए कटार बढ़े हम पे।
हम सेना है, पर मानव है,
हाँ दर्द उठा हर चोंटो पर।।
हर आलोचक से कहता हूँ,
दो रात गुजारो साथ मेरे।
बंदूकों की शोर सुनो,
बिंदास चलो घनघोर अँधेरे।।
तुम वाणी नहीं सह पाते हो,
हम पत्थर की चोट सहे।
तुम दगाबाज हो, धोखेबाज हो,
बेशर्म तुम्हें हम क्या कहें।।
सेना के मनोभाव को,
मैं “प्रदीप” बतलाता हूँ।
हर स्वार्थी जल्लादों को,
मैं आईना दिखलाता हूँ।।
?????
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761