कविता

कविता

बहुत मुश्किल है हर बात का स्वागत करना,
दिन को रात और रात को दिन, बयां करना।
कोई चारा ही नहीं मेरे पास, बच्चों के सामने,
सिवाय खामोश रह, उत्पात को अनदेखा करना।
जरुरी है बिगड़े हालात में भी, मुस्करा कर रहना,
दर्दे दिल दिखा मुश्किल, यहाँ जीवन बसर करना।
कुरेदेंगे लोग जख्मों को, हमदर्दी जताने के बहाने,
दर्द सह लेना मगर मरहम का इंतज़ार ना करना।
डॉ अ कीर्तिवर्धन