कविता

लिखा है मैंने एक आखिरी प्रेम गीत…

ज़िन्दगी की रात में

लिखा है मैंने ,

एक आखिरी प्रेम गीत।

अगर सुनाई दे

तुम्हें ,

तो सुन लेना !

इसे सुन ने की भी

एक शर्त है मगर !

किसी के कहने -सुनने से नहीं ,

अगर मन से सुनो तो ही

सुनना !

यह मेरा प्रेम गीत

नहीं सुनाई देगा

किसी हृदय हीन को !

ह्रदय तल के

आखिरी तल से ,

उभरी टीस से निकला

यह गीत

तुम्हें सुनाई दे .

तो ही सुनना।

जिंदगी की रात है अब ,

भोर का क्या मालूम

हो भी या नहीं।

भोर के तारे में

मेरा गीत ,

सुनाई दे तो सुन लेना।

*उपासना सियाग

नाम -- उपासना सियाग पति का नाम -- श्री संजय सियाग जन्म -- 26 सितम्बर शिक्षा -- बी एस सी ( गृह विज्ञान ), महारानी कॉलेज , जयपुर ज्योतिष रत्न , आई ऍफ़ ए एस दिल्ली प्रकाशित रचनाएं --- 6 साँझा काव्य संग्रह, ज्योतिष पर लेख , कहानी और कवितायेँ विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में छपती रहती है।