गीतिका/ग़ज़ल

इंतजार

करता रहा इंतजार ‘ पलकें बिछाए
ना आना था तुमको ‘ ना ही तुम आये
वो लम्हे कठिन ‘ राह तकना था मुश्किल
अश्कों ने अनमोल  ‘ मोती गंवाए

न जाने वो कैसी मुश्किल घडी थी
निगाहों के रस्ते तुम दिल में समाये
वादा किया था सदा संग रहने की
गए तुम तो ऐसे कभी फिर न आये

यादों में आये  ‘ सपने सजाये
सोये से दिल के अरमां जगाये
चाहा तुम्हें भूल जाऊं मगर फिर
तुम जब याद आये ‘ बहुत याद आये

जो दिल में बसा ली है तस्वीर तुम्हारी
मिटाने से भी कभी मिटती नहीं है
अब आओ न आओ मगर जान लो ये
साँसों की डोर तुम बिन टूटती नहीं है

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।