उपन्यास अंश

आजादी भाग -२४

साजिद अब पूरी बात समझ चुका था । अब उसके चेहरे पर इत्मीनान के भाव थे । कालू भाई का फैसला भी उसे अब पसंद आ रहा था ।
बाबा भोलानंद का आश्रम उसके लिए नया नहीं था । बाबा के  भक्तों की बड़ी तादाद विदेशों में रहती है । आश्रम में आने पर बाबा के आह्वान पर  ये लोग आश्रम के बाहर बैठे भिखारियों को दिल खोलकर दान देते हैं । यही बात आश्रम के लिए फायदेमंद थीं और अब सौदा हो जाने के बाद वो सारा फायदा कालू भाई को मिलनेवाला था ।
अचानक कालू उठ खड़ा हुआ और साजिद से बोला ” साजिद ! वो अपने पहले के चार चूजे थे न जो काम करने से मना कर रहे थे वो कहाँ हैं ? ”
साजिद ने चुस्ती फूर्ती से जवाब दिया ” यहीं हैं भाई ! लाऊं उन सबको ? अब वो सब काम करने के लिए तैयार हैं । ”
” अब वो लोग भले तैयार हैं लेकिन अब मेरा मूड बदल गया है । ऐसा करो ! उनमें से एक चूजे को पैर में कट मार दो और दूसरे की एक बत्ती गुल कर दो । वो अपना डॉक्टर है न क्या नाम है उसका ? रस्तोगी ! हाँ रस्तोगी को ही बुला लेना और उसे हमारा आदेश समझा देना । उसको यह भी बता देना चूजों को बहुत जल्द ठीक करना पड़ेगा । ” कालू कुटिलता से मुस्कुराते हुए बोला ।
” लेकिन भाई ! अब तो सब कुछ ठीक होने जा रहा है । हमें आश्रम का भी ठेका मिल गया है । हमारे दस लडके वहीँ सेट हो जायेंगे । ऐसे में हमें इन नए चूजों को अपाहिज करने में पैसा नहीं खर्च करना चाहिए  ! ” साजिद ने कालू को समझाना चाहा था ।
कालू ने   घूर कर उसकी तरफ देखा और सर्द स्वर में बोला ” उन लड़कों की ज्यादा तरफदारी मत कर साजिद । ऐसा न हो कि हमारा मूड बन जाए और तुझे भी उन लड़कों के साथ ही डॉक्टर के सामने पेश कर दूँ ……..! ”
साजिद बीच में ही बात कटते हुए बोल पड़ा “, नहीं भाई ! माफ़ करिए मैं तो आपको समझाने की कोशिश करके आपके पैसे बचाने की सोच रहा था । ” उसके चेहरे पर भय की परछाई स्पष्ट झलक रही थी ।

” ठीक है ! ठीक है ! अब ज्यादा होशियारी मत दिखा । होशियारी से परसों तक यह काम निबटा डाल और अब जा !  जाकर इन दस नए चूजों की खोजखबर ले । इनमें से भी कोई इंकार तो नहीं कर रहा है काम करने से । और हाँ ! वो डॉक्टर मिले तो उससे कहना इन चूजों के सामने ही उन लड़कों का ऑपरेशन करेगा , ताकि इन्हें भी पता चले कि हमें इनकार करने की सजा क्या होती है । ठीक है ? अब मैं जा रहा हूँ । जैसा कहा है वैसा ही कर । चल ! खुदा हाफ़िज़ ! ” कहते हुए कालू एक झटके से उठा और उस आलमारी नुमा  दरवाजे से बाहर की तरफ बढ़ गया ।
कालू के जाते ही साजिद सक्रीय हो गया । भूरिया सहित सभी औरतों को बाहर जाने का इशारा किया और मिले हुए पैसे उठाकर बाहर की ओर जाने लगा । तभी अचानक भूरिया ने उसे आवाज दिया ” अरे साजिद भाई ! वो एक चूजा बोला था भाई ने मेरे लिए । उसका क्या हुआ ? ”
साजिद बाहर जाते हुए अचानक रुक गया और माथे पर हाथ मारते हुए बडबडाया ” अब तक कहाँ मर रही थी ? पहले नहीं याद दिलाने का ? ”
हाथ में थामे हुए पैसे के साथ वह उस दरवाजे से बाहर हो गया और पांच मिनट में ही वापस आ गया था ।

साजिद और कालू  की बातें ध्यान से सुन रहा राहुल अन्दर से काफी भयभीत हो गया था । उसकी समझ में आ गया था कि अब रोहित और उसके साथियों के सर पर खतरा मंडरा रहा था । उन गुंडों का इशारों में बात करना भी उसे समझ में आ रहा था । किसी लडके की जो शायद रोहित ही होगा टांग काटी जानेवाली थी और किसीकी आँख फोड़ी जानेवाली थी । अन्दर से डरा हुआ राहुल आनेवाले समय में आनेवाली मुसीबत से बचने का हरसंभव उपाय सोच रहा था । अब उसे अपनी और अपने साथियों की फ़िक्र कम हो गयी थी । वह रोहित और उसके साथियों के प्रति ज्यादा चिंतित नजर आ रहा था । अभी फिलहाल उसे और उसके साथियों से खतरा दूर ही नजर आ रहा था । लेकिन रोहित और उसके साथियों के पास सिर्फ आज का ही वक्त था । राहुल के दिमाग में बस एक ही धुन सवार थी ‘ बस अब मुझे ही कुछ करना होगा । वह साजिद की हर हरकत और बातचीत पर पूरा ध्यान लगाये हुए था ।

साजिद ने वापस आते ही रोहित के साथ ही खड़े एक पांच वर्षीय लडके रामू को पकड़कर भूरिया की तरफ धकेल दिया और हंसते हुए बोला ” ले संभाल ले इस चूजे को । आज से ये तेरा बेटा है और तेरा मरद तेरे को और इसको छोड़ के भाग गया है । समझी ? ”
उसकी हंसी में अपनी हंसी मिलाते हुए भूरिया बोली ” चल चल रहने दे ! अब और मत सिखा मुझे । नयी नहीं हूँ । पब्लिक को कैसे बेवकूफ बनाकर पैसे निकलवाने हैं मुझे सब पता है । तू ख़ाली इस चूजे को अच्छी तरह समझा दे कि मैं जितना कहूँगी उतना ही बोलेगा और करेगा । समझा ? ”
साजिद हंसते हुए ही पलटा और किसी मंजे हुए कलाकार की भांति चेहरे पर जबरदस्त कठोरता लाते हुए रामू को घूरते हुए सर्द स्वर में बोला ” सुन बे ! अब से तू भूरिया के संग ही रहेगा और जो ये कहेगी उतना ही करेगा । अगर कोई होशियारी करने की कोशिश की तो समझ लेना । पता है न हम लोग क्या कर सकते हैं ? समझ गया ? अब जा और ध्यान लगाकर काम कर और जैसा कहा है वैसा ही करना । ”
रामू का हाथ पकड़ भूरिया साजिद को सलाम कर बाहर की तरफ निकल गयी ।

भूरिया के जाने के बाद साजिद भी उठा और बच्चों की तरफ कठोर नज़रों से देखते हुए बोला ” उम्मीद है तुम लोग यहाँ आराम से रहोगे । कोई होशियारी नहीं करोगे । और हाँ तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ तुम सभी लोग कल से ही काम करने जा रहे हो । इसलिए आज किसीको कुछ भी खाने को नहीं मिलेगा । आखिर कल के लिए तुम सबको भुखा और गरीब लाचार तो दिखना ही पड़ेगा । हाँ प्यास लगे तो पानी पी लेना वो सामने लगे नल से । समझ गए न ? किसी तरह की कोई होशियारी और यहाँ से भागने की कोशिश बिलकुल भी नहीं करना । ”
कहते हुए साजिद बाहर की तरफ निकल गया । साथ ही अब उस आँगन नुमा कमरे में ख़ामोशी फ़ैल गयी । कुछ ही मिनटों में मोटर साइकिल स्टार्ट होने की आवाज सुनाई पड़ी और फिर धीरे धीरे उसकी आवाज दूर होती गयी । साजिद अब जा चुका था । राहुल ने एक गहरी सांस ली वहीँ नीचे ही जमीन पर निढाल सा पड़ गया । अब उसे कपडे या खुद के गंदे होने की जरा भी फ़िक्र नहीं थी । सभी बच्चे अब थोडे निश्चिन्त से दिख रहे थे ।

क्रमशः

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।