लघुकथा

भोर

घर के आँगन में एक नन्ही सी लड़की किलकारियां मार रही थी. ठुमक ठुमक कर पूरे आँगन में घूम रही थी. अचानक ही प्रश्न भरी निगाहों से देखते हुए बोली ” ऐसा क्यों कर रही हो ? क्या मैं तुम्हारा अंश नहीं ? मुझे भी तो तुमने अपने रक्त से सींचा है . तो फिर क्यों ? सिर्फ इसलिए की मैं एक लड़की हूँ.”
वसुधा की आँख खुल गयी. पसीने से पूरी तरह भीगी हुई थी. कुछ देर तक बिस्तर में बैठी सपने के बारे में सोंचती रही.फिर ताज़ी हवा खाने बालकनी में आ गयी.
चिड़ियाँ चह चहा रही थीं . आसमान में एक रक्तिम लकीर जल्द ही सवेरा होने की सूचना दे रही थी. किन्तु उसके मन में निर्णय का सूर्य निकल आया था वह अपनी बच्ची को जन्म देगी.

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है