राजनीति

बकवास लेकिन गंभीर

कल यू ट्यूब पर एक पाकिस्तानी चैनल देख रहा था जिसमे एँकर साजिया और एक कोई हिलाली तथा एक पत्रकार मौजूद था. हिलाली साहब कह रहे थे कि अगर कश्मीर लेना है तो पाकिस्तान को भारत पर तुरंत न्यूक्लीयर हमला करना चाहिये. यद्यपि यह पूर्णतया बकवास लग रहा था लेकिन वे जो दलील दे रहे थे बड़े गंभीर थे. हम अपना पीठ भले थपथपा ले लेकिन हिलाली की एक एक दलील हमारे यहा के राजनैतिक और राष्‍ट्रीय परिस्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठ रही थी. वे कह रहे थे की भारत आज भी मुग़ल राज्य के समय जैसा एक अस्थिर देश है. वहा आज भी वे सब बिघटनकारी शक्तिया मौजूद है जिसका फायदा उठाकार मुग़ल शासक एक हजार साल तक शासन किये. बुरहान बानी के लिये पूरा 30 दिन तक काश्मीर जलता रहा, अफजल के फांसी पर हमारे कितने लोग सडको पर उतर आये थे, कालेजो तक मे अफजल के लिये मुजाहरे हो रहे थे, आज भी हिन्दुस्तान के हर हिस्से मे कही न कही पाकिस्तानी झंडे लहराये जाते है जबकि पाकिस्तान मे कही भी और कभी भी हिन्दुस्तानी झंडे नही फहराए जाते. सारी परिस्थितिया मेरे साथ है लेकिन हमारा नेतृत्व हमेशा मौका गँवाता रहा. 1962 मे अगर हम भी चीन के साथ हमला बोल दिये होते तो कश्मीर की समस्या कब की खतम हो गई होती. मुम्बई हमला हुआ, संसद पर हमला हुआ भारत हमला क्यो नही किया क्योकि वह हमारे बम्ब से डरता है, भारत मे रह रहे हमारे लोग से डरता है जो सड़क से लेकर संसद तक मे मौजूद है. भारत भले हिन्दू बहुल देश है लेकिन सत्ता उसी को मिलेगी जिसे हमारे लोग चाहेगे. वहा की आधी हिन्दू आबादी हमारे साथ है. बगल मे बैठा पत्रकार बोला की हम तीन जांगे लड चुके है अभी अभी सर्जिकल स्ट्राइक का दंश झेल चुके है. हिलाली का तर्क था की तब मई न्यूक्लीयर देश नही था, सर्जिकल स्ट्राइक जैसी गलती अब मोदी कभी नही करेंगे, देखे नही मोदी की कितनी तुक्का फजीहत हुई, आधा हिन्दुस्तान हमारे सुर मे सुर मिला रहा था, वहा के लोग तो दो कदम आगे जा कर सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग रहे थे. मानता हु की भारत हमसे शक्तिशाली राष्ट्र है लेकिन वह जाति धर्म क्षेत्र मे बिखरा हुआ राष्ट्र है.

उपर्युक्त सारी बातो को हम भले बकवास मान ले, लेकिन क्या परिस्थितिया वैसी नही है ? 70 साल बीत जाने के बाद जिस लोकतंत्र को सारे जाति धर्म क्षेत्र या सभी प्रकार के बिघटनकारी प्रावधानो से उपर उठकर बिशुद्ध राष्‍ट्रीय सोच वाली हो जानी चाहिये थी वह आज भी उसी दल दल मे फंशी हुई है. लोकसभा विधान सभा मवालियो गुंडो बेईमानो का अड्डा बन चुका है. प्रबुद्ध बर्ग अपने हित के अनुसार समस्याओ की विवेचना कर रहा है, फिर हिलाली के बयान को हल्के मे कैसे लिया जा सकता है.जिस लोकतंत्र को हम ढो रहे है क्या 700 सालो मे भी उससे देश का कुछ कल्याण हो सकता है ? यक्ष प्रश्न है ! चुनाव कम्युनिस्ट देश और कुछ इस्लामी देशो मे भी होते है लेकिन वे सब उसी चुनाव प्रणाली को स्वीकार किये जो उनके देश के परिस्थिति के अनुसार थे किसी देश का नकल नही किये. बकवासो को यू ही नकारा नही जा सकता कुछ बकवासो पर चिंतन करना ही होगा !

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय 

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104