कविता

साहस की प्रतिमा: सरोजिनी नायडू

भारत देश की शान थी, सरोजिनी महान थी,                                               जन्म दिवस 13 फरवरी
कोयल-सा मीठा स्वर था, भारत की वह आन थी.

 

स्वतंत्रता संग्राम की देवी, स्वच्छ राजनैतिक नेता,
देश-विदेश की भाषाविग़ थीं, सुष्ठु काव्य की कुशल प्रणेता.

 

‘गाने वाली चिड़िया’ थी वह, भावुकता लालित्य भरी,
बहुमुखी प्रतिभाशाली महिला, वाणी में वरदान भरी.

 

नवजागरण की उस वेला में, नारी सक्षम है बतलाया,
पर्दा-प्रथा पर प्रहार करके, जागृति का परचम फहराया.

 

हिंदु-मुस्लिम रहें एक और स्वदेशी को मान मिले,
युवा वर्ग हो देशभक्त और उनके आनन-सुमन खिलें.

 

स्वतंत्रता के बाद मिला था, राजयपाल पद उस महिला को,
भारत-कोकिला जो कहलाती, साहस की अद्भुत प्रतिमा को.

 

शत-शत नमन हों देश-कोकिला, फिर से इस भारत में आओ,
वीणा-सी मधुरिम वाणी से, फिर से भारत देश गुंजाओ.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244