साहस की प्रतिमा: सरोजिनी नायडू
भारत देश की शान थी, सरोजिनी महान थी, जन्म दिवस 13 फरवरी
कोयल-सा मीठा स्वर था, भारत की वह आन थी.
स्वतंत्रता संग्राम की देवी, स्वच्छ राजनैतिक नेता,
देश-विदेश की भाषाविग़ थीं, सुष्ठु काव्य की कुशल प्रणेता.
‘गाने वाली चिड़िया’ थी वह, भावुकता लालित्य भरी,
बहुमुखी प्रतिभाशाली महिला, वाणी में वरदान भरी.
नवजागरण की उस वेला में, नारी सक्षम है बतलाया,
पर्दा-प्रथा पर प्रहार करके, जागृति का परचम फहराया.
हिंदु-मुस्लिम रहें एक और स्वदेशी को मान मिले,
युवा वर्ग हो देशभक्त और उनके आनन-सुमन खिलें.
स्वतंत्रता के बाद मिला था, राजयपाल पद उस महिला को,
भारत-कोकिला जो कहलाती, साहस की अद्भुत प्रतिमा को.
शत-शत नमन हों देश-कोकिला, फिर से इस भारत में आओ,
वीणा-सी मधुरिम वाणी से, फिर से भारत देश गुंजाओ.