कविता

गीत

एक झील में कश्ती
कश्ती में मैं हूँ,तुम हो साथ मेरे
होले-होले खैओ नैया,बस हम साथ रहें
पानी कल-कल करता गाये
बूंदें अब ये राग सुनायें
देखूँ जब भी बालों को तेरे
ये रात घनी शरमाये
एक झील में कश्ती
कश्ती में मैं हूँ,तुम हो साथ मेरे
होले-होले खैओ नैया,बस हम साथ रहें
रंग बिरंगे हैं फूल किनारे
खुश्बू देते हैं चारों दिशा रे
मुस्काओ तुम खिल के अब तो
खिलेंगी कलियाँ साथ हमारे
एक झील में कश्ती
कश्ती में मैं हूँ,तुम हो साथ मेरे
होले-होले खैओ नैया,बस हम साथ रहें
पत्थर-पत्थर जल में डुबा
महबूब तेरा मैं तूँ महबूबा
दो जिस्म एक जान हुए हम
प्रेम जमीं पर है रे अजूबा
एक झील में कश्ती
कश्ती में मैं हूँ,तुम हो साथ मेरे
होले-होले खैओ नैया, बस हम साथ रहें

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733