राजनीति

टुकड़ों की राजनीति

लाखों रूपए का इनकमटैक्स इसलिए नहीं दे रहे हैं कि कोई यहाँ “भारत तेरे टुकड़े होंगे हजार” का नारा लगाए..! यह बर्दाश्त के बाहर की चीज है। नारा लगाने के लिए बाकी बहुत कुछ है, उनपर ध्यान जाना चाहिए।

सच तो यह है वामपंथ उच्च जातियों के नकारा टाइप के लोगों के बौद्धिक चोंचले हैं, इसीलिए वामपंथी दलों का अधिकतर कमान इन्हीं लोगों के हाथों में है। भारत की सीधी-साधी जनता इन दलों और इनके वैचारिक प्रेरकों के पाखंड को बखूबी समझती है।

देखा जाए तो बहुत सारे एन.जी.ओ. टाइप के स्वैच्छिक संगठन वामपंथ की आड़ में ही फलते-फूलते हैं। ऐसे संगठन इस हो-हल्ले के बीच अपना भविष्य भी तलाशते हैं।

बात समाचार चैनलों की, तो इनकी स्थिति समाचारों को लेकर दिवालियेपन से ज्यादा कुछ नहीं है। ये भी अपने बौद्धिक जमाखोरी में व्यस्त हैं, ताकि सनद रहे भविष्य में काम आये टाइप से! इनका आम आदमी से कोई सरोकार नहीं होता। अकसर देखा जाता है आम जनता के हित की महत्वपूर्ण बातों पर ये ऐसे मौन साध लेते हैं जैसे कहीं कुछ हुआ ही नहीं है। ये समाचार चैनल्स अपने-अपने हिस्से को नोचने में व्यस्त हैं।

अब रही बात राजनीतिक दलों की तो, इनका कोई पुरसाहाल ही नहीं है। ये अभी भी आजादी के समय का मुगालता पाले हुए हैं, इन्हें यह नहीं पता अब भारत की जनता किसी के सोचाने पर नहीं सोचती वह वैचारिक रूप से स्वतंत्र है, केवल वह तड़फड़ाती रहती है और उसके मन की बात कोई कर देता है तो उसी ओर खिंची चली जाती है। तो ये राजनीतिक दल, भारतीय जनता के मन की बात को समझने में राजनीतिक भूल कर रहे हैं..इनके बौद्धिक सलाहकार भी निरन्तर इन दलों को दिग्भ्रमित किये जा रहे हैं।

अन्त में महत्वपूर्ण बात…!

आज के समय में यदि कोई आजादी मांगे तो आम आदमी यह समझ जाता है कि वास्तव में आजादी माँगने वालों की समस्या क्या है..! यह पक्का हो चला है कि अब इन आजादी माँगने वालों को उनकी आजादी टाइप की आजादी मिलने से रही….

भारत की आम जनता धर्मनिरपेक्षता की चर्चा पर बेहद चिढ़ जाती है…हजारों वर्षों से यह आपकी धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा के अनुसार धर्मनिरपेक्ष ही रही है… हाँ इतनी बात जरूर है, इसकी बात करके आप यहाँ की सीधी-साधी जनता को उकसाने का काम कर रहे हैं और जितना ही आप ऐसा करेंगे उतना ही आप सिमटते जायेंगे…! प्लीज देश के हित में धर्मनिरपेक्षता की बजाय अन्य मुद्दों को उठाइए।

देश की जनता यह भी चुपचाप देख रही है कि पाकिस्तान कैसे बना था…और कश्मीर में क्योंकर अलगाववाद अपने चरम पर है..! एक आम भारतीय इन बातों को देख-सुनकर मन मसोसकर रह जाता है, और जब आप आजादी की बात करते हैं तो उसके जले पर बखूबी नमक छिड़क रहे होते हैं…कृपा करके बातों को समझिए! अन्यथा आपके सारे तर्क भोथरे साबित होंगे!!

ऐसा नहीं कि इस देश की जनता किसी की सुनना नहीं चाहती, लेकिन इसके लिए उसके मन को भी समझिए…

मुझे अपने इनकमटैक्स का हिसाब चाहिए, आजादी माँगने वालों…! कृपया इसमें मेरी मदद करें…

*विनय कुमार तिवारी

जन्म 1967, ग्राम धौरहरा, मुंगरा बादशाहपुर, जौनपुर vinayktiwari.blogspot.com.