गीत/नवगीत

वन-महिमा गान

हम सब नन्हे बच्चे मिलकर वृक्ष उगाते जाएंगे
वन-महोत्सव आज मनाकर, वृक्ष की महिमा गाएंगे
वन हों ज़िंदाबाद, वन हों ज़िंदाबाद

 

 

1.वन के लाभ बहुत हैं सुन लो, वन की महिमा अपरम्पार
इसके कारण मिलते हमको, ताड़, चीड़ और देवदार
तरह-तरह की लकड़ी मिलती, घर-द्वार बनवाएंगे-
वन-महोत्सव आज मनाकर, वृक्ष की महिमा गाएंगे-

 

 

2.कुर्सी, मेज़ और अल्मारी, हम बनवाते पेड़ों से ही
गुल्ली-डंडा, हॉकी-बल्ला, हमको मिलता पेड़ों से ही
जड़ी-बूटियां मिलतीं वन से, लाख भी तो हम पाएंगे
वन-महोत्सव आज मनाकर, वृक्ष की महिमा गाएंगे-

 

 

3.तरह-तरह के वाद्य सुरीले, हम बनवाते पेड़ों से ही
तरह-तरह कीए साज-सजावट, हमको मिलती पेड़ों से ही
नवजीवन की नव बगिया को, पेड़ों से सरसाएंगे
वन-महोत्सव आज मनाकर, वृक्ष की महिमा गाएंगे-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244