लघुकथा

कुछ अनकहा /गिरगिट

“हेलो ! भाभी हम दोनों कुछ दिनों के लिए आपके घर आ रहे हैं । मेरे पति की तबीयत बहुत बिगड़ गई है”। मायना अपनी भाभी से फ़ोन पर बात की

“क्या हुआ आपके पति को दीदी ? आप जीजा जी को वहाँ के डॉक्टर को दिखला ली क्या” ? भाभी के चेहरे पर मनहूसियत छा गई , ननद की आने की खबर सुन कर

“हाँ हाँ ! भाभी वहाँ के डॉक्टर को दिखला चुके हैं । डॉक्टर बड़े शहर में दिखलाने के लिए बोला था तो हम कई दिनों से यहाँ आए हुए हैं । टेस्ट सब हुआ तो पता चला कि इनकी दोनों किडनी फ़ेल है और इलाज के लिए इसी शहर में ज़्यादा दिन रुकना होगा”।

“तो तुम्हारे पति के छः भाई भी तो इसी शहर में रहते हैं ? सुख दुःख अपनों के बीच ही काट ली जाती है”

“हाँ भाभी ! आप सही कह रही हैं … सबों से बात करने के बाद ही आपको फ़ोन की हूँ ! इस उम्मीद में कि आपके घर में हमारे लिए ज़रूर जगह होगी ! ससुराल के इनके सभी भाई एक एक घर में रहते हैं । लेकिन मेरे भाई का चार मंज़िला हवेली है । कोई बता रहा था कि सभी तीन मंज़िलों के कमरे ख़ाली पड़े हैं” !

“अरे कहाँ से तुम गलत खबरें पा जाती हो ननदी ? कुछ कमरे के लिए पेशगी ले चुकी हूँ । हमें तो क्षमा ही करो तुम”।

“क्यूँ भाभी कोर्ट में मिले हम क्या”?

“धत्त ! हमलोग घर में आपलोगों का इंतज़ार कर रहे हैं दीदी , जल्द आइयेगा प्यारी ननद रानी”।

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ