लघुकथा

पछतावा

वरुण बिस्तर पर बैठे हुए सोच में डूबा था। उसने मम्मी को फोन पर अपनी सहेली से पैसों की मदद मांगते सुन लिया था। उसके इलाज पर बहुत पैसा खर्च हो रहा था। उनकी जमा पूंजी खत्म हो गई थी। अतः अब दूसरों से मदद मांगनी पड़ रही थी।
इस एक्सीडेंट के लिए वह स्वयं ही ज़िम्मेदार था। अपनी मम्मी से छिपा कर वह दोस्तों के साथ स्टंट करता था। उन लोगों के लिए ऐसा करना बहादुरी की निशानी थी। आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं से भी वह कुछ सीखने को तैयार नही थे।
अब वह बोर्ड परीक्षा में भी नही बैठ पाएगा। उसकी कोचिंग पर कितना खर्च किया था मम्मी ने। पैसों के साथ साथ साल भी बर्बाद हो गया।
यह सब सोच कर उसका दिल भर आया। मम्मी ने जब उसके सर पर हाथ फेरा तो वह रोने लगा।
“बेटा जो हो गया वह बदला नही जा सकता। पर समझदारी इसी में है कि इस स्थिति से सबक लो।”
“मम्मी मुझे सबक मिल गया है। मैं झूठी शान के लिए अपने आप को मुसीबत में नही डालूंगा।”

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है