गीत/नवगीत

होली के रंग

नीला पिला हरा बैंगनी
और उड़े रंग लाल

भर भर कर मारो पिचकारी
बरसे अबीर गुलाल

   रंग लगे रंग छुट भी जाएँ
रिश्ते टूटे जुट भी जाएँ

  रंग प्रेम का सबसे आला
जिसने इससे मन रंग डाला

  रंग सभी तो छूटे तन से
प्रेम रंग ना छूटे मन से

  रंग प्रेम का सबसे पक्का
दुर्वचनों को देकर धक्का

थूक दो नफ़रत गले लगा लो
मिलजुल कर हुडदंग मचा लो

प्रेम से बोलें मीठी बोली
मिलजुल कर हम खेलें होली

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।