लेख

शराब

शराब के बारे कुछ लिखना अजीब सा लगता है क्योंकि यह विषय ही ऐसा है। बहुत भारती इस को नफरत करते हैं। फिर भी बहुत लोग शराब पीते भी हैं, कुछ कम, कुछ ज़्यादा। आम धारणा यही है कि शराब सिहत के लिए तो बुरी है ही लेकिन इस को पी कर इंसान गलतियां भी बहुत कर सकता है। ज़्यादा पीने से लिवर खराब हो सकता है, और भी बहुत बीमारियां हो सकती हैं। ज़्यादा पीने से शरीर का संतुलन भी बिगड़ जाता है और इंसान गिरने लगता है, जिस के कारण गंभीर चोटें लगने का अंदेशा रहता है। इस के अतिरिक्त गरीबों के घरों में आर्थिक तंगी के कारण लड़ाई झगडे शुरू हो जाते हैं, गाली गलौच होता है, बच्चों पर बुरा प्रभाव पढता है और बहुत दफा मार पीट के कारण तलाक भी हो जाते हैं। शराब पी कर खून होते भी सुने हैं। यानी शराब के नुक्सान सभी जानते हैं। जो लोग खुद शराब पीते हैं, जब उन्होंने पीती नहीं होती, वोह भी किसी दूसरे शराबी को देख कर हंस कर अजीब नज़र से देखते हैं क्योंकि उस की अजीब हरकतें बेवकूफों वाली हो जाती हैं । शराब की बुरी बात यह भी है कि जब दोस्त इकठे हो कर पीने लगते हैं तो पहले पहले ग्लासों में डालते वक्त कम डालने को बोलते हैं, बस ओ बस ओ,कहते रहते हैं लेकिन जब पीनी शुरू हो जाती है तो धीरे धीरे मिक़दार भी बढ़ने लगती है और एक वक्त ऐसा आ जाता है, जब वोह खुद बोतल को उठा कर ग्लास में डालने लगते हैं, बस तब इंसान शराबी हो गया होता है और अब गलतियां करने का वक्त भी आ जाता है। यह गलतियां, बहुत दफा घातक सिद्ध होती हैं, मस्लिन नशे में कोई ऐसा शब्द बोल देना, जिस में किसी दोस्त की इज़त का मामला छिपा हो। कोई ऐसा राज़ खोल देना, जिस से जेल की हवा खानी पढ़ जाए। मुझे गाँव की एक पुरानी बात याद हो आई। कुछ भाइयों की इकलौती बहन के किसी लड़के के साथ सम्बंध थे। भाइयों को पता चल गया और उन्होंने उस लड़के को उस वक्त पकड़ लिया, जब वोह उन की बहन से मिलने उन के घर में ही आया हुआ था। उन भाइयों ने उस लड़के को मार कर लाश को घर में ही दबा दिया। आठ दस साल इस बात को बीत गए। एक दिन यह भाई किसी गाँव में शादी पर गए हुए थे और वहां शराब पीने लगे। शराब जब चढ़ गई तो उस गाँव का एक लड़का बोला, ” ओ भई ! तुमारे गाँव की एक लड़की होती थी, उस के सम्बंध हमारे गाँव के ही एक लड़के के साथ थे, भई जोड़ी खूब थी, जैसे हीर राँझे की होती है लेकिन उस लड़के का बाद में कोई पता नहीं लगा की कहाँ गया “, अब एक भाई को कुछ गुस्सा आ गया जो अब नशे में था और उस ने बक दिया, बोला, ” जाना कहाँ था, साले को घर में ही मार कर गाड़ दिया “, बस, उस लड़के ने अपने घर जा कर बता दिया क्योंकि वोह लड़का उस लड़के का रिश्तेदार ही था, जिस के सम्बन्ध उस लड़की के साथ थे। पोलिस आ गई और भाइयों को पीट पीट कर लड़के की लाश को निकाल लिया गया। उन भाइयों को उम्र कैद हो गई।
मेरे कहने के अर्थ यह हैं कि सभी लोग शराब को अच्छा नहीं समझते लेकिन फिर भी शराबनोशी दिनबदिन बढ़ रही है। आज से पचास साठ पहले जब मैं छोटा था, तो गाँव में रोज़ाना शराब पीने वाला सिर्फ एक आदमी ही होता था, जिस की ज़मीन जायदाद बहुत थी लेकिन बच्चा कोई नहीं था। पत्नी भगवान् को पियारी हो चुक्की थी और वोह ज़मीन बेच बेच कर शराब में उड़ाता रहता था। इस के इलावा तो गाँव में कुछ लोग ही थे जो किसी दिन त्योहार पर ही देसी शराब पीते थे लेकिन आज के पांच दरियाओं के पंजाब में छठा दरिया तो शराब या दूसरे नशों का बह रहा है। 2001 में जब मैं इंडिया आया था तो देख कर ही हैरान रह गया कि इंडिया में हर देश का ब्रैंड मिलता है और बीयर का आम ही रिवाज़ है। खैर यह तो इलग्ग विषय है, मेरा विषय तो शराब से जुड़े तत्थिओं से ही है। मैं भी थोह्ड़ी सी शराब कभी कभी पी लेता हूँ लेकिन मेरी शराब को दोस्त शरबत पीना ही समझते हैं क्योंकि उन के हिसाब से तो मैं बच्चों जैसी पीता हूँ। बेछक मैं थोह्ड़ी ही पीता हूँ लेकिन मुझे इस के शरीर पर होने वाले प्रभाव के बारे में सभ पता है, इस लिए कह सकता हूँ कि इस को पी कर कैसा महसूस होता है। शराब पी कर इंसान अपने आप को बहुत मज़े में महसूस करता है। इस के सरूर में इंसान बातें बहुत करता है, उस का जी चाहता है कि वोह बोलता ही जाए और दूसरे सुनते ही जाएँ। बहुत पुरानी बात याद आ गई, मेरी शराब तो मामूली ही थी, मैं ने बिलकुल ही पीनी छोड़ दी, कई महीने गुज़र गए और मुझे शराब की कोई इच्छा ही नहीं रही। मेरी पत्नी को अचानक इंडिया आना पढ़ गया। कई दफा काम से आ कर मैं बैड में सो जाता था। इसी तरह एक दिन मैं बैड में सोया हुआ था तो चार दोस्त आ गए। मेरे बेटे ने मुझे उठा कर बताया कि मेरे दोस्त आये हैं। मैं उठ कर नीचे आ गया और उन से हाथ मिला कर बातें करने लगा, लेकिन कुछ देर बाद सभ चुप हो गए, कोई बोल नहीं रहा था, अजीब स्थिति हो गई थी, वोह सभी पीने वाले थे, मैं बोतल उठा लाया तीन ग्लासों में शराब डाल दी क्योंकि मैंने पीनी छोड़ रखी थी। वोह मेरे बगैर पी नहीं रहे थे और मुझे भी पीने को कह रहे थे। सभी चुप थे और कभी कभी कोई बोल देता, ” और सुनाओ, क्या हाल हैं ” फिर चुप हो जाते। अजीब माहौल बन गया था और तंग आ कर मैंने अपने लिए एक ग्लास में डाली और एक दम पी गया। इस पर सभी हंसने लगे और अब सभी पीने लगे। अब वोह इतनी बातें करने लगे की सभी एक दूसरे की कलाई पकड़ कर बोलने लगे, ” पहले मेरी बात सुन, नहीं नहीं पहले मेरी सुन ”
आज ही मैं पंजाबी के एक प्रसिद्ध लेखक कुलबीर सिंह का अखबार में उस की जीवन कथा का एक कांड पढ़ रहा था, जिस में उस ने शराब के बारे में भी बहुत कुछ लिखा हुआ था जो मुझे पहले मालूम नहीं था। वोह लिखते हैं कि कुछ लोग शराब के बहुत से फायदे बताते हैं और ज़्यादा लोग इस के नुक्सान ही बताते हैं। वोह लिखते हैं कि हकीम लुकमान ने शराब के 101 फायदे लिखे हैं और साथ ही चितावनी भी दी है कि यह इतनी बुरी चीज़ हैं कि इस को छूना भी पाप है। इसी लिए 1400 साल पहले हजरत मुहम्मद साहब ने मुसलमानों को शराब से वर्जित कर दिया था। अरबों में रेगिस्तान ज़्यादा हैं और गर्मी बहुत होती है और उस समय पानी की कमी भी बहुत हुआ करती थी। उस समय अरब लोगों में एक बीमारी बहुत होती थी जिस को डबोखतरे की बीमारी बोलते हैं। इस बीमारी में पिछाब बहुत कम आता है और जलन होती है, जिस की वजह से अन्य बीमारियां हो जाती हैं। यह बीमारी पानी की कमी के कारण होती है और पानी की उस समय बहुत कमी होती थी। मुहमद साहब, अगर शराब की मनाही ना करते तो यह बीमारी और भी अधिक होती क्योंकि शराब पीने से डीहाइड्रेशन हो जाती है। 1971 के पहले पहले सारे अरब देश यूर्पीन लोगों से आज़ाद हो गए थे। अरबों की डिवैल्पमैंट बहुत हुई और अरबों में तेल निकलने की वजह से लोग अमीर हो गए, अब पानी की समस्य भी ख़तम हो गई है और अब अरब देशों में बहुत अरबी लोग शराब भी पीने लगे हैं और साथ ही डबोखतरे की बीमारी भी ख़तम हो गई है। इस लेख को लिखने का मेरा कोई मकसद नहीं है कि शराब पीनी चाहिए या नहीं पीनी चाहिए, मेरा मकसद तो नशे के साथ जुडी धारणाओं से ही है। नशा सिर्फ शराब में ही नहीं होता, नशा भांग चरस गांजा आदिक में भी होता है, होमियोपैथिक दुआई में भी होता है जो बहुत कम मिक़दार में होता है। और तीर्थ अस्थानों पर जा कर हम देखें तो साधू संत आम ही चिलमें पीते हुए मिलेंगे लेकिन उन को कोई कुछ नहीं कहता। सिखों में निहंग सिंह, जो बड़ी पगड़ी पहनते हैं, वोह आम ही भांग रगड़ कर पीते हैं और इस भांग को वोह सुखनिधान बोल कर इस को अछि चीज़ बोलते हैं।
शराब बाकी सभ नशों से हट कर है। थोह्ड़ी सी पीने से इंसान दलेर हो जाता है और कमज़ोर आदमी भी लड़ाई के लिए तैयार हो जाता है। तभी तो पी कर लड़ाई झगडे, मार पीट और खून हो जाते हैं। यही कारण है कि मिलिटरी में रंम सारे जवानों को कम रेट पर दी जाती है। पाकिस्तान जैसे कटड़ इस्लामी देश में भी जवानों को रंम मिलती है। इस को थोह्ड़ी सी पी कर इंसान अपनी जान की भी परवाह नहीं करता और मरण मारण पर आ जाता है। जख्मी हुए जवानों को, उन के साथी रंम पिलाते हैं, ताकि उन की तकलीफ कम हो जाए। बर्फीली पहाडियों में रम, गधों घोड़ों को भी पिलाई जाती है ताकि उन को ज़िआदा ठंड की वजह से हाइपोथर्मियां न हो जाए लेकिन यह रंम कुछ इलग्ग किसम की होती है। यहां अरबों में डीहाइड्रेशन की वजह से डबोखतरे की बिमारी हो जाती है, इसी तरह, उन देशों में यहां ठंड बहुत होती है, हाइपोथर्मियां होने की संभावना हो जाती है। इसी लिए ऐसे देशों में ऐल्कोहल का इस्तेमाल ज़्यादा होता है। रूस में सर्दियों में तापमान माइनस पचीस तीस तक हो जाता है। इसी लिए रूस में वोदका बहुत पी जाती है जो ब्रांडी की तरह गरम होती है। यह वोदका रूस का एक चिन्न जैसा है, जैसे फ्रांस की ब्रांडी है। भारत में बेछक आज बीअर शराब का चलन बहुत हो गया है और आज के लड़के लड़कियां भी बहुत पीने लगे हैं लेकिन हिन्दू धर्म में शराब को बुरा माना जाता है। बेछक एक समय, सोम रस और सुरा का भी था लेकिन समय बदलने के साथ साथ इस को बहुत बुरा समझा जाने लगा था, यहाँ तक कि कुछ ब्राह्मण तो लसुन और पिआज को भी नापसंद करते थे। इस्लाम में तो शराब की मनाही है, फिर भी बहुत मुसलमान लोग पीते हैं। ईसाई धर्म, दुनिआं का सब से बड़ा धर्म है लेकिन जीसस क्राइस्ट खुद वाइन पीते थे। आज भी कई चर्चों में सैक्रामेण्टल वाइन पिलाई जाती है। ईसाइयों में इस की कोई मनाही नहीं है। सिखों में शराब का चलन इतना बढ़ गया है कि इस को हद से ज़्यादा पीना कहा जा सकता है। अगर किसी शादी में मांस शराब न दिया गया हो तो बोलते हैं कि मेहमानों का स्वागत नहीं किया गया। कोई भी पार्टी हो, बर्थडे पार्टी या वैडिंग पार्टी, शराब के बगैर तो सोचना ही असंभव है। जब तक पी ना लें, कोई भंगड़े के लिए उठता ही नहीं और जब पी लेते हैं तो बूढ़े भी जवान हो जाते हैं और ग्लासी हाथ में लिए भंगड़ा पाते हैं ।
मुझे पुरानी बातें याद हो आईं, एक दफा हम एक रिश्तेदार के लड़के की बर्थडे पार्टी पर गए, वोह राधा सुआमी धर्म से ताउलकक रखते थे जो शराब का ना तो खुद सेवन करते हैं और ना ही किसी को पिलाते हैं। हमारे टेबल पर सभी पीने और मांस खाने वाले थे। मुझे तो कोई फर्क नहीं पढता था लेकिन बाकी सभी शराब का इंतज़ार कर रहे थे। एक तो गुस्से में आ गया, जब घर वाले डांस करने को बोल रहे थे तो वोह बोल उठा, ” डांस किस चीज़ से करें, डांस करने के लिए कुछ हो तो करें यानी शराब के बगैर डांस नहीं कर सकते थे। फिर वोह धीरे से हम को बोला, ” यहां बर्थडे पार्टी पर आये हैं या किसी फ्यूनरल पर, चलो पब को चलते हैं ! ” और वोह सभी टेबल से उठ कर पब को चल दिए और मैं अकेला रह गया। इंग्लैंड में तो ऐसा है कि शादीयों पर चाहे कोई पीता हो या ना, पार्टी में शराब और मीट परोसे जाते हैं। यह चलन तो इंडिया में भी ऐसा ही हो गया है। इस को बुरा कहें या भला, यह हो रहा है। बहुत लोग शराब को बुरा बोलते हुए भी पीते हैं क्योंकि यह सब अपनी अपनी मर्ज़ी पर निर्भर है। कुछ डाक्टर लोग कहते हैं कि थोह्ड़ी मिक़दार में रोज़ाना शराब से सिहत, ना पीने वालों से बिहतर रहती है। मैंने 80 90 साल के लोग देखे हैं जो सारी उम्र पब में जाते रहे लेकिन वोह सिहत याफ्ता हैं। मैंने शाकाहारी देखे हैं जो छोटी उम्र में ही भगवान् को पियारे हो गए। इस से मैं कह सकता हूँ कि इस में कोई पक्की लकीर नहीं खींची जा सकती। रोग तो ज़्यादा खाने से भी हो सकते हैं लेकिन यह अपनी अपनी सोच है।
ज़्यादा तो कोई चीज़ खानी पीनी भी बुरी है लेकिन ज़्यादा शराब पीने से नुक्सान सभ से ज़्यादा होते हैं। मैंने लोग देखे हैं जो सुबह से ही पीनी शुरू कर देते हैं क्योंकि वोह पूरी तरह नशेड़ी हो चुक्के हैं। कुछ तो इंग्लैंड जैसे देश में भी लोगों से पैसे मांगते रहते हैं। एक शख्स जो अब नहीं है, वोह हमारा दरवाज़ा कभी कभी खटखटाता रहता था और पैसे मांगता था। उस को लिवर कैंसर हो गया था। इसी तरह एक और था जो चालीस साल की उम्र में ही शराब की वजह से यह दुनिआं छोड़ गया था। उस की बीवी अभी तक दुःख उठा रही है। शराब पी कर कार चलाने पर हर साल हर देश में कितनी मौतें होती हैं, यह हम सब जानते हैं। मैंने सारी उम्र बस की सर्विस की है और ज़िन्दगी में अनगिणत एक्सीडेंट देखे हैं जिन में शराबी हो कर ड्राइव कर रहे होते थे। इतने खतरनाक वातावरण में मैंने बस चालाई है लेकिन मुझे अपने आप पे गर्व है कि सारी उम्र चलाते रहने से भी मेरा ड्राइविंग लाइसेंस बिलकुल क्लीन है, बल्कि मुझे हर साल सेफ ड्राइविंग अवार्ड मिलते रहे जिन को अब काउंसल की एक प्रदर्शनी में लगाया गया है। काउंसल ने बिदेशी लोगों के इतिहास का रिकार्ड रखने की खातर ऐसे प्रौजैक्ट चालाये हैं जिन में पुराने लोगों की अचीवमेंट को एकत्र किया जा रहा है और इन में मेरे बहुत से मैडल और मैडल रिसीव करते हुए की फोटोज़ हैं। कहने के अर्थ यह हैं कि मैंने बीअर शराब पीते हुए भी अपनी ड्राइविंग पर कम्प्रोमाइज़ नहीं किया। कभी किसी पार्टी में मैं थोह्ड़ी पी भी लेता था तो कार मेरी पत्नी चलाती थी, कभी रिस्क नहीं लिया। आज मैं भारतीय टीवी चैनलों पर रात के समय आज के लड़के लड़कियों को नशे में धुत्त हो कर कारें चलाते देखता हूँ और पुलिस उन को रोक कर ब्रेथलाइज़ करती है, तो सोचता हूँ कि यह वैस्ट की बीमारी इंडिया में भी आ गई है। पीना ना पीना अपनी अपनी मर्ज़ी है लेकिन नशे में धुत्त हो कर गाड़ी चला के किसी को गाड़ी के नीचे कुचल देना किसी का हक्क नहीं है। मैं कौन होता हूँ किसी को नसीहत देने वाला क्योंकि सभी को शराब के नफे नुक्सान का पता है। कुछ लोग सारी उम्र पी कर एक दम छोड़ देते हैं क्योंकि शराब एक ऐसी चीज़ है जो जब जी चाहे छोड़ी जा सकती है। छोड़ने से कोई बुरे प्रभाव नहीं पढ़ते जब कि दूसरे नशे छोड़ना बहुत कठिन है।