कविता

मोदी सा बन जाओ

किन रंगों की बात कर रहे, मैं क्या जानूं ?
मेरा रंग है श्याम, इसे उतारो तो मैं जानूँ।
मीठे बोलों की पिचकारी से चलता है यह,
कृष्ण रंग में तुम भी रंग जाओ, तो मैं मानूँ।
मन-मंदिर की दीवारें भी इसमे रंग जाती हैं,
केसरिया करने की जग को, जब मैं ठानूं।
काट-काट कर तुलसी-पीपल, नागफनी को बोते,
हरित क्रान्ति लाकर दिखलाओ, तो तुमको मानूं।
जाति-धर्म,क्षेत्रवाद में, बाँट दिया भारत को तुमने,
राष्ट्रवाद सिद्धांत, मोदी सा बन जाओ, तो मैं मानूं।
डॉ अ कीर्तिवर्धन