कि किस्मत आजमाना चल रहा है
रवायत का निभाना चल रहा है।
जो रुठे ख्वाब हैं आंखों से मेरी
उन्हें अब तक मनाना चल रहा है
बड़े ही सर्द हैं जज्बात दिल के
वफा की लौ दिखाना चल रहा है।
बहुत जागी हैं उम्मीदों की आँखें
सुकूँ दे कर सुलाना चल रहा है।
बरस जाते हैं आबे चश्म बरबस
गमे सावन सुहाना चल रहा है।
मिली उल्फत में कब मंजिल किसी को
लिए हसरत दिवाना चल रहा है।
गज़ल बनती है मेरी अब तुम्ही से
तुम्ही को गुन गुनाना चल रहा है।
तुझे खो कर “तनुज” बेजार दुनियां
गमों का कारखाना चल रहा है।
— सतीश मैथिल ‘तनुज’