मुक्तक/दोहा

नीर के दोहे

नीर लिए आशा सदा,नीर लिए विश्वास !
नीर से सांसें चल रही,देवों का आभास !!

अमृत जैसा है “शरद”, कहते जिसको नीर !
एक बूंद भी कम मिले,तो बढ़ जाती पीर !!

नीर बिना जीवन नहीं,अकुला जाता जीव !
नीर फसल औ’ अन्न है,नीर “शरद” आजीव !!

नीर खुशी है,चैन है,नीर अधर मुस्कान !
नीर सजाता सभ्यता,नीर बढ़ाता शान !!

जग की रौनक नीर से,नीर बुझाता प्यास !
कुंये,नदी,तालाब में,है जीवन की आस !!

सूरज होता तीव्र जब,मर जाते जलस्रोत !
घबराता इंसान तब,अनहोनी तब होत !!

नीर करे तर कंठ नित,दे जीवन को अर्थ  !
नीर रखे क्षमता बहुत,नीर रखे सामर्थ्य !!

नीर नहीं बरबाद हो,हो संरक्षित नित्य !
नीर सृष्टि पर्याय है,नीर लगे आदित्य !!

नीर बादलों से मिले,कर दे धरती तृप्त !
बिना नीर के प्रकृति यह,हो जाती है तप्त !!

नीर पूज्य है ,वंदगी,देता है आनंद !
नीर देव की जय करो,जो है ब्रम्हानंद !!

प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]