गीतिका/ग़ज़ल

रहने की आदत हो गयी है

मुझे अंगार में रहने की आदत हो गयी है
किसी के प्यार में रहने की आदत हो गयी है

फ़लक पर हूँ जमीं पर मैं उतर सकता नहीं हूँ
मुझे अख़बार में रहने की आदत हो गयी है

ज़रूरत पर बिका था मैं हक़ीक़त है मगर अब
उसी बाज़ार में रहने की आदत हो गयी है

हुआ है ख़ास जबसे वो ज़माने से कटा यूँ
उसे दो चार में रहने की आदत हो गयी है

उसे सम्बन्ध-नाते प्यार कारोबार ही लगते
जिसे व्यापार में रहने की आदत हो गयी है
          :प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’
               फतेहपुर उ.प्र

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com