लघुकथा

जय – पराजय

रोहन क्रिकेट का शौकीन था । लेकिन जब भी भारतीय टीम पाकिस्तान से भिड़ रही होती क्रिकेट के प्रति उसकी दीवानगी आसमान छूने लगती ।
रविवार को हुए मुकाबले में पाकिस्तान के हाथों हुई अनअपेक्षित शर्मनाक पराजय ने भारत के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों की तरह ही रोहन को भी निराश कर दिया । खिन्न मन लिए रोहन उदास सा एक कुएं की जगत पर बैठा आज के खेल में भारतीय खिलाड़ियों के दयनीय प्रदर्शन पर ही विचार कर रहा था । ज्यों ज्यों विचार करता उसका मन और उद्विग्न हो जाता और आखिर भावावेश में आकर उसने कुएं में कूद कर खुद को ही समाप्त करने का मन बना लिया । अभी अपने फैसले को अंजाम देता कि तभी रामु को खुशी से नाचते देखकर उसे बड़ी हैरत हुई । उससे पूछ ही लिया ” अबे ! क्या तुझे पाकिस्तान के जितने की इतनी खुशी हो रही है ? ”
रामु उसी मुद्रा में नाचते हुए बोला ” अबे बेवकूफ ! मैं पाकिस्तान के जितने की खुशी नहीं उसके हारने की और भारतीय हॉकी टीम के जितने की खुशी मना रहा हूँ । मेरा मन कर रहा है भारत में हॉकी का फिर वही स्वर्णिम युग आनेवाला है जो मेजर ध्यानचंद के समय था ।  हारने के बहाने छोड़ो और खुशियां मनाने के अवसर ढूंढो । इसी में जीवन की सार्थकता है । ”
अपना फैसला बदलते हुए राहुल घर की तरफ बढ़ गया ।

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।