अन्य बाल साहित्य

दो ही मुन्ना-मुनिया

अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या दिवस पर विशेष काव्य रूपक

लड़के-
अपने आंगन में होंगे दस मुन्ना-मुनिया
फिर चाहे रोए-हंसे सारी दुनिया होंगे दस मुन्ना-मुनिया

लड़कियां-
अपने आंगन में होंगे दो ही मुन्ना-मुनिया
खिल-खिल हंसेगी अपनी प्यारी बगिया होंगे दो ही मुन्ना-मुनिया

लड़के-
कहते हैं आंगन में इक ही, फूल सुहाना लगता है
बुआ-मौसी-ताऊ-चाचा, बिन घर सूना लगता है
इसी कारण हों अच्छे (होSSS) ज़्यादा मुन्ना-मुनिया होंगे दस मुन्ना-मुनिया
अपने आंगन में होंगे दस मुन्ना-मुनिया

लड़कियां-
छोटी-सी खटिया पर ज़्यादा, बैठें लोग तो टूटेगी
धरती पर ज़रूरत से ज़्यादा, लोग हों किस्मत फूटेगी
इसी कारण हों अच्छे (होSSS) कम मुन्ना-मुनिया दो ही मुन्ना-मुनिया दो ही मुन्ना-मुनिया
अपने आंगन में होंगे दो ही मुन्ना-मुनिया

लड़के-
जितने ज़्यादा बच्चे उतना, पैसा ज़्यादा आएगा
काम करे वो दो हाथों से, एक ही मुंह से खाएगा
इसी कारण हों अच्छे (होSSS) ज़्यादा मुन्ना-मुनिया होंगे  दस मुन्ना-मुनिया
अपने आंगन में होंगे दस मुन्ना-मुनिया

लड़कियां-
घर-शाला-बस-दफ्तर में तुम, लाइन से बच पाओगे
भोजन-कपड़ा-पानी-बिजली, वायु भी शुद्ध पाओगे
इसी कारण हों अच्छे (होSSS) कम मुन्ना-मुनिया दो ही मुन्ना-मुनिया दो ही मुन्ना-मुनिया
अपने आंगन में होंगे दो ही मुन्ना-मुनिया

सब-
अपने आंगन में होंगे दो ही मुन्ना-मुनिया
अपने आंगन में होंगे दो ही मुन्ना-मुनिया
अपने आंगन में होंगे दो ही मुन्ना-मुनिया

(तर्ज़- अपने पिया की मैं तो बनी रे जोगनिया————)

1995 में लिखा एक लोकप्रिय काव्य-रूपक, जो अनेक प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार के अतिरिक्त क्षेत्रीय प्रतियोगिता में दिल्ली राज्य-स्तर पर भी पुरस्कृत हुआ.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244