कहानी

मेरी गाय

प्रियंका ने इस बार छुट्टियों में कहीं घूमने का प्रोग्राम बना रखा था, पिछली बार भी घर में काम लगा था तो आर्यन और प्रियंका कहीं जा नहीं पाए थे। सारा साल प्रियंका ने आर्यन को बाते सुनाई कि साल में एक बार तो जाना होता है वो भी .. .मुझे बहाने मत सुनाया करो, अब तो आर्यन ने भी घर में शान्ति के लिए और प्रियंका को खुश करने के लिए घूमने का प्रोग्राम पहले से ही बना लिया था। आर्यन को गाय पालने का शौक था उसने गाय रखी थी अपनी फैक्ट्री में एक कमरा बना ऱखा था और काम के लिए एक लड़का रखा था जो सुबह शाम गाय का ध्यान ऱखता था जब काम से फुर्सत मिलती तो आर्यन अपने हाथों से गाय को पानी डालता चारा खिलाता, पुचकारता था। प्रियंका को गाय की ड्यूटी या गाय की वजह से उसके कहीं जाने में अड़चन आए पसंद नहीं था। इसी वजह से कभी कभी वो आर्यन से लड़ भी पड़ती कि गाय कोई रखता है क्या। घर में और जिम्मेदारियां कम है क्या ? जो अब मेरी गाय , मेरी गाय करते रहते हो। आर्यन को गाय से बहुत लगाव हो गया था ज़रा सा बीमार होती तो परेशान हो जाता और डॉक्टर को बुला लेता, कईं बार प्रियंका इस बात पर भी नाराज़ होती कि लगता है मुझसे ज्यादा गाय की फिक्र है। आर्यन को व्यापार के सिलसिले में बाहर जाना होता तो किसी को कहना पड़ता फैक्ट्री के मजदूर को वो गाय का भी ध्यान रखता और दूध भी घर पहुंचा आता, प्रियंका कहती थी कि गाय तो अच्छी होती है पर जैसे और लोग डेयरी से दूध लेते हैं हम भी ले लेंगे छोड़ो न किसी को दे दो बहुत जिम्मेदारी होती है जानवर की पर आर्यन को तो गुस्सा आ जाता मेरी गाय कोई जानवर नहीं है उसने उसे बचपन से पाला था जब वो बहुत छोटी थी। आर्यन हर मुश्किल झेल लेता था , अब दस दिन बाद आर्यन और प्रियंका ने घूमने जाना था अचानक आर्यन एक दिन बहुत देरी से आया और बहुत परेशान था जब प्रियंका और मां ने कारण पूछा तो कहता मां मेरी गाय को पैरालिसिस का अटैक आया है डॉक्टर ने कहा वो उठ नहीं पा रही है, घर में सब हैरान हो गए कि गाय को भी ऐसा हो सकता है, आर्यन से तो खाना भी नहीं खाया जा रहा था वो रो रहा था कि गाय को इस हालत में कैसे देखूं वो कौशिश कर रही है पर उठ नहीं पा रही है। प्रियंका को भी सुन कर दुख लगा क्योंकि गाय अब घर का सदस्य जैसी थी, पर उनके घूमने न जाने की वजह वो बन जाएगी यह पता नहीं था। आर्यन बहुत परेशान था डॉक्टर अपना ईलाज कर रहा था किसी ने देसी दवा के लिए बताया तो सुबह उठते ही इतनी दूर दवा लेने चला गया, अपने काम की तो फिक्र ही नहीं रही थी उसे था कि मेरी गाय एक बार ठीक होकर अपने पांव पर खड़ी हो जाए। डॉक्टर इंजैक्शन लगा रहे थे, गाय घुटने के बल घसीट रही थी पर उठ नहीं पा रही थी जगह जगह ज़ख्म हो गए थे, अब तो दूध भी डेयरी से ले रहे थे अब मां ने भी हार कर कह दिया था आर्यन गाय किसी को दे दो। तुम कैसे संभालोगे बीमार गाय को, अगर नहीं उठ पाई ऐसे ही रही तो तुम्हें मुश्किल हो जाएगी, प्रियंका ने भी मुंह चड़ा लिया था क्योंकि गाय को इस हाल में छोड़ कर नहीं जा सकते थे। आर्यन अकेला ही झूझ रहा था पर हार नहीं मानी थी दस दिन हो रहे थे गाय का वही हाल था ,कभी ज़ख्मों की दवा लगाता कभी देसी ईलाज कभी इंजैक्शन पर आर्यन लगा रहा। उसने उम्मीद नहीं छोड़ी वो अपनी प्यारी गाय को इस हाल में कैसे छोड़ सकता था न ही उसने कुछ कहा वो बस ईलाज कराता रहा फिर किसी ने किसी और डॉक्टर के बारे में बताया सभी का ईलाज चल रहा था फिर थोड़ा थोड़ा सुधार होने लगा, गाय अब थोड़ा-थोड़ा उठने लगी थी पूरी तरह नहीं पर पहले से सुधार था आर्यन घर में भी कुछ घरेलु उपचार करने लगा था जिसने जो बताया आर्यन ने बहुत मेहनत की किसी की परवाह नहीं की नि:स्वार्थ सेवा की और गाय एक दो हफ्तों बाद ठीक हो गई। थोड़ी कमज़ोरी थी जो आहिस्ता आहिस्ता जानी थी आर्यन के चेहरे पर मुस्कान वापिस आ गई थी उसने अपने काम को भी नहीं देखा था अच्छे से, घर में तो माहौल प्रियंका की जिद्द की वजह से खराब था। आर्यन ने प्यार से समझाया कि अब गाय ठीक है चलो तुम्हें यहां जाना है ले चलता हूँ पर उस हाल में गाय को छोड़ कर कैसे जा सकता था। वो भी तो घर का सदस्य है, देखो वो दूध देती है वहां रौनक है उसकी वजह से कोई रोटी डालने आता है कोई उसकी पूजा करने सच बोलूं तो मुझे गाय से लगाव है इसलिए नहीं कि वो दूध देती है पर मुझे गाय की देखभाल करना सेवा करना अच्छा लगता है। प्रिंयका की नाराज़गी दूर हो गई थी गाय ठीक थी वो अब घूमने जा सकते थे। पर सच मे प्रियंका भी भीतर मन में दुखी थी गाय की बीमारी की वजह से अब उसके चेहरे पर भी मुस्कान थी।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |