शर्त
शादी का कार्ड देख कर मनीषा चंद महीने पीछे चली गई। वरुण उसके सामने बैठा था। वह कोई फाइल देख रही थी। “शादी के बाद अपने इस सेंटर की ज़िम्मेदारी किसे सौंपोगी।”
मनीषा ने सर उठा कर उसे देखा और बोली “ज़िम्मेदारी किसी और को क्यों दूंगी। मैं ही संभालूंगी।”
वरुण कुछ सोंच कर बोला “हमारे परिवार की साख है। तुम शादी के बाद भी इन औरतों के साथ काम करोगी।”
मनीषा को उसकी बात अच्छी नहीं लगी। उसने कहा “भले ही समाज इन्हें अच्छी नज़र से ना देखता हो किंतु यहाँ इन्हें आत्मसम्मान पूर्वक जीने के योग्य बनाया जाता है।”
वह कुछ देर मौन रह कर बोली “अगर इन्हें छोड़ना शादी की शर्त है तो मुझे मंजूर नहीं।”
मनीषा ने सर उठा कर उसे देखा और बोली “ज़िम्मेदारी किसी और को क्यों दूंगी। मैं ही संभालूंगी।”
वरुण कुछ सोंच कर बोला “हमारे परिवार की साख है। तुम शादी के बाद भी इन औरतों के साथ काम करोगी।”
मनीषा को उसकी बात अच्छी नहीं लगी। उसने कहा “भले ही समाज इन्हें अच्छी नज़र से ना देखता हो किंतु यहाँ इन्हें आत्मसम्मान पूर्वक जीने के योग्य बनाया जाता है।”
वह कुछ देर मौन रह कर बोली “अगर इन्हें छोड़ना शादी की शर्त है तो मुझे मंजूर नहीं।”