लघुकथा

प्राणी रक्षक

बड़ी मुश्किल से जान बचा कर फटेहाल कपड़ों में मदारी माधो जैसे-तैसे घर पहुँचा था। उसकी हालत देख कर उसका बेटा बसंत घबरा कर बोला – “बाबा क्या हुआ ?”
माधो काफी देर तक चुप रहा, मानो उसे साँप सूँघ गया हो। फिर रुआँसा सा हो कर बोला – “आज का दिन ही खराब गया बेटा। प्राणी रक्षक समिति के सदस्यों ने मार-मार कर अधमरा कर दिया और अपने मिंकु बंदर को भी छीन लिया।”

फिर कुछ रुक कर बोला – “वो कह रहे थे हम अपने धंधे के लिये जानवरों को कष्ट देते हैं, जोकि गलत है। बस जान बचा कर आया हूँ। वो तो पुलिस बुलाने की धमकी भी दे रहे थे।”
बसंत को तो खुद ही जानवरों को सताना पसँद नहीं था । कुछ याद आते ही यकायक खुश होते हुए बोला “वाह ! इसका मतलब इस बार बकरीद पर कोई बकरा भी नहीं कट पाएगा । ”

दर्द से कराहता हुआ माधो निरुत्तर था ।

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed