लघुकथा

बाबुल की बुलबुल

बुलबुल रामलाल को शादी के दस साल के बाद पैदा हुई थी। रामलाल एक प्राइवेट कंपनी में छोटा मोटा मुलाजिम था। गरीबी उसको विरासत में मिली थी। किसी तरह से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो जाता था। पर रामलाल के सपने और अरमान बहुत बड़े थे। वो अपनी मेहनत और ऊपर वाले पे भरोसा करता था।

बेटी बुलबुल को रामलाल ने बड़े ही प्यार और अरमान से पाला पोसा था। सेठ-साहूकार से कर्ज लेकर उसे पढ़ाया था। रामलाल की पत्नी का सहयोग हर तरीके से मिलता था। रामलाल ने अपनी पत्नी का जो भी थोड़ा जेवर था और कुछ जमीन थी उसे गिरवी रखकर कर्ज लिया था। बेटी बुलबुल बचपन से ही होनहार थी और पढाई मे अव्वल थी। रामलाल का सपना था उसे डाक्टर बनाने का।

बुलबुल जब थोड़ी बड़ी और समझदार हुई तो अपने माता पिता की मिहनत और गरीबी को बड़े ही नजदीकी से देखा और महसूस किया और पिता के सपने को साकार करने का ठान ली थी और एक दिन बहुत ही खुशी की दिन थी जब उसे मेडिकल कालेज मे दाखिला उसके मिहनत के बल पे मिल गया। अब पिता के सामने समस्या थी उसे हर जरूरत को पूरा करने की जो मेडिकल की पढ़ाई के लिए थी। वह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ में विश्वास करता था।

वो कालेज के हास्टल में रहती थी। माँ भी अब गांव के कुछ घरों में अपने पति और बेटी से छुपाकर कुछ मजदूरी करके पैसे का जुगाड करने लगी और वक्त बेवक्त कुछ पैसे पति को दिया करती थी ये कहकर कि उसके पिता ने जो जमीन बेची है उन्होंने उसके हिस्से का पैसा जबर्दस्ती दिया है।

बेटी ने कालेज मे पढाई के दौरान देखा समाज मे बेटी के जन्म को एक अभिशाप के रूप मे देखा जाता है और कुछ पेशेवर डाक्टर भ्रूण हत्या को एक व्यापार बना दिये है। कालेज मे ही बुलबुल को उसके ही ख्यालात के दोस्त जो कि मेडिकल की पढ़ाई करता था उससे दोस्ती हो गई जो बाद मे मौहब्बत मे बदल गई।उसका नाम राहूल था जिसने बुलबुल का साथ दिया ।

एक दिन बुलबुल डाक्टर बन गई। माता पिता का खुशी का ठिकाना न रहा। बुलबुल बेटी की जन्म की जानकारी देने वाले भ्रूण हत्या करने वाले डाक्टरो के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया और समाज मे ऐसे माॅ-बाप के खिलाफ भी आंदोलन छेड़ दिया जो बेटी को एक अभिशाप समझते थे। बुलबुल अपने नर्सिंग होम मे बच्ची होने पर मुफ्त डिलेवरी कराती थी और बच्ची के माॅ को बच्ची के नाम पर 5000/रूप्या उसके भविष्य के लिए भी देती थी।

बुलबुल की शोहरत गांव गांव शहर शहर में फैल गई। मिडिया के सहयोग से सरकार की जानकारी मे भी ये बातें आ गई। सरकार ने एक समारोह मे बुलबुल और उसके माता पिता को सम्मानित किया और सरकार ने बुलबुल के नर्सिंग होम को आर्थिक मदद देकर एक बड़े सरकारी हास्पीटल का रूप दिया जहाँ कईयो को नौकरी मिली और बुलबुल उस हास्पीटल की निदेशक बनी।

बुलबुल का आन्दौलन एक जन आन्दोलन बन चुका था जिसमें समाज के कई वर्गों का सहयोग प्राप्त था। अंत में बुलबुल की शादी बड़े ही धुमधाम से राहूल से हुई। समय पाकर बुलबुल के घर एक नन्हीं बुलबुल ने जन्म लिया।