कविता

ख्वाब

तुम एक ख्वाब की तरह ही तो हो
जैसे ख्वाब कभी पूरे नही होते
वैसे ही तुम कभी पास नही आते
लेकिन मै ख्वाब पूरे होने का
और तुम्हे पास आने का
बेसब्री से इंतजार करती हूँ
शायद किसी दिन
ख्याब मुक्कमल हो जाये
तो तुम्हे पाना भी आसान हो जायें
क्योकि तुमसे ही ख्वाब
और ख्वाब मे तुम
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४