लघुकथा

धुंधलके का अक्स

अभी-अभी सोमेश्वर के पास पुलिस के कंट्रोल रूम से फोन पर मैसेज आया था. पुलिस कमिश्नर ने उसको शाबाशी देते हुए अच्छे व जिम्मेदार नागरिक की उपाधि से विभूषित किया था. मैसेज पढ़कर सोमेश्वर को शाम की बात याद आ रही थी.

जनवरी के अंतिम दिन की सर्द शाम को हसीं बनाने के लिए छोटे बेटे के साथ सोमेश्वर देश की आन ‘इंडिया गेट’ देखने गया था. इंडिया गेट के आस पास फैली धुंध किसी को प्रदूषण का दुष्परिणाम लग रही थी, तो किसी को नई कविता के सृजन का प्रेरणास्त्रोत. सोमेश्वर को उस धुंधलके में अपराध कर गाड़ी भगाकर ले जाने वाले किसी अपराधी का अक्स दिखाई दिया था. उसने गाड़ी रोककर वहां तैनात पुलिस को आगाह करने की कोशिश की, लेकिन उसकी बात पुलिस वाले को समझ ही नहीं आ रही थी.

उनकी बात को लंबा चलता देख एक और पुलिस वाला पास आया और बात को समझने की कोशिश करने लगा. शीघ्र ही वह समझ गया, कि सोमेश्वर मूक-बधिर होने के कारण इशारों से बात कर रहा था. उसने इन इशारों को समझने की थोड़ी ट्रेनिंग भी ली हुई थी. वह शीघ्र ही समझ गया, कि कोई अपराधी अपराध करके गाड़ी से भाग रहा है. उसने सोमेश्वर से पूरी जानकारी लेकर तत्काल कार्रवाई शुरु कर दी. तीन घंटे की सुनियोजित मेहनत के पश्चात अपराधी पकड़ में आ पाया था.

धुंधलके के अक्स ने उसको देश के लिए एक देशभक्त नागरिक बनने का गौरव प्रदान किया था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “धुंधलके का अक्स

  • लीला तिवानी

    सत्यकथा पर आधारित लघुकथा
    मूक-बधिर सोमेश्वर की देशभक्ति सराहनीय है. अपनी छठी इंद्रिय की ताकत से उसने धुंध में भी चोर को भांप लिया था, जो काम वहां की तैनात पुलिस नहीं कर पाई. सोमेश्वर की अदृश्य शक्ति और देशभक्ति को हमारे कोटिशः सलाम.

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