कविता

रे ! पंछी

रे ! पंछी अब उड़ चल
सूख गए हैं डाल पात
ढूँढ ठिकाना और कहीं
बची है केवल राख
रे ! पंछी अब उड़ चल
मेघ की आस लिए हुए
बीत गई हैं कई रात
नीड़ बनाया जो हमने
वो भी हो गया खाक
रे ! पंछी अब उड़ चल
चलने लगी सर्द हवाएं
नहीं हुई लेकिन बरसात
हे ईश्वर तुम ही सुन लो
अब तुम से ही है आस
रे ! पंछी अब उड़ चल
क्या करूँ कहाँ जाऊँ
बच्चे भी हैं मेरे साथ
रे ! पंछी अब उड़ चल
सूख गए हैं डाल पात
      -रमाकान्त पटेल

रमाकान्त पटेल

ग्राम-सुजवाँ, पोस्ट-ढुरबई तहसील- टहरौली जिला- झाँसी उ.प्र. पिन-284206 मो-09889534228