गीतिका/ग़ज़ल

तन्हा दीवानी

जिंदगी बन कर तेरी मेरी कहानी रह गई,
आँखों में बस मेरी अश्कों की रवानी रह गई,

रास न आया ज़िंदगी को मेरा आँचल फूलों का
काँटे ही दामन में इकलौती निशानी रह गई,

हसरतों की कब्रगा होकर मेरा दिल रह गया
चाहतें सारी की सारी अब रुहानी रह गई

शोर सन्नाटों का सुनती ही रही मैं रात भर
साथ मेरे तन्हा रोती रातरानी रह गई

मैं किसी की भी दुआओं में न शामिल हो सकी,
इश्क की राहों में तनहा मैं दीवानी रह गई।

प्रिया

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - priyavachhani26@gmail.com