गीतिका/ग़ज़ल

****गीतिका******

न लिख इश्क बदनाम हो जायेगा !
हर गली मे तेरा नाम हो जायेगा !!

करके परदा निकल शामो- सहर!
वरना हर सूं नजारे जाम हो जायेगा!

चांद का हसीन मुखड़ा देखकर !
जीना सबका हराम हो जायेगा!!

कर रही गुफ्तगू जो जुल्फ है तेरी!
उंगलियो का मचलना आम हो जायेगा!!

तीरे नजर हो गया चार जो मेरे सनम !
आंख का दिल को पैगाम हो जायेगा!!

कह देना हाल दिल का शौक से मगर!
टूटा कही जो कत्लेआम हो जायेगा !!

थामकर हाथ मत निकलना बाजार मे!
राज दिल का खुलेआम हो जायेगा!!

ठहर गये जो तुम पल दो पल के लिये!
जुल्फ की छांव मे कोहराम हो जायेगा!!

प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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