माली गर गुलशन के सैयाद नही होते
माली गर गुलशन के सैयाद नही होते
सदियों के रिश्ते यूँ बर्बाद नही होते
तब तक आजादी के होने के माने क्या
जब तक कट्टरता से आजाद नही होते
हमने यदि धर्मों को समझा होता तो फिर
धर्मों के नाम कभी उन्माद नही होते
जिनके मन मैं सच का उजियारा रहता है
उनके मन में पैदा अवसाद नही होते
उस घर में दीवारें उठ जाती हैं अक्सर
जिस घर में आपस में संवाद नही होते
आवश्यकता ही तो खोंजें करवाती है
वरना ये संसाधन ईजाद नही होते
ग़ैरों की खुशियों से जो जलते हैं बंसल
उनके घर खुशियों आबाद नही होते
सतीश बंसल
२२.०७.२०१८