सामाजिक

आज के आरुणि: जैसल

हमारी पीढ़ी के लिए बालक आरुणि को भुला सकना नामुमकिन है. ऐसी अनुपम गुरुभक्ति, ऐसा आज्ञापालन, ऐसी इंसानियत की मिसाल मिलना मुश्किल होता है, लेकिन आज के युग में भी आरुणि जैसी मिसाल मिल जाती है, जिसके कारण बड़ी-से-बड़ी आपदा-विपदा भी छोटी पड़ जाती है. पहले तब के आरुणि के बारे में कुछ बातें.
बालक आरुणि का उदाहरण एक आदर्श बालक के रूप में सदा हमारे सामने आता है. यह बालक गुरु आज्ञा से खेत में पानी लगाने गया. इस खेत की एक कमजोर मेंढ़ थी, जो पानी रोक पाने में अक्षम थी तथा बार बार बांधने पर भी टूट जाती थी. जब बालक को इसे बांधने का अन्य कोई उपाय न मिला तो यह बालक अरुण स्वयं ही उस टूटी हुई मेंढ़ के स्थान पर लेट गया तथा इस प्रकार खेत से बाहर बह रहे पानी को रोकने में सफल हो गया. यह प्रभाव था हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति का. क्या आज की मैकाले शिक्षा पद्धति का कोई बालक अपने गुरु की आज्ञा को पूर्ण करने के लिए इतना साहस कर सकेगा, इतना बलिदान कर सकेगा? उत्तर मिलता है नहीं. तनिक ठहरिए, क्यों नहीं? आज भी आरुणि जैसी मिसाल हमारे सामने मौजूद है. आइए, मिलवाते हैं आज के आरुणि जैसल से.
जैसल मलप्पुरम के पास तनूर के चप्पापडी के निवासी मछुआरे का नाम है. केरल की भीषण बाढ़ में फंसे लोगों की दंडवत होकर मदद करने वाले इस मछुआरे की हर ओर जमकर तारीफ हो रही है. पानी में फंसे लोगों के लिए अपनी पीठ को सीढ़ियों की तरह पेश करने वाले मलप्पुरम के 32 वर्षीय केपी जैसल रातों-रात हीरो बन गए हैं. रेस्क्यू के दौरान उनका विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. इसके बाद उन्हें दुनियाभर से प्रशंसा मिल रही है. जैसल पर अब इनामों की बारिश हो रही है. उन्हें नकद इनाम के साथ ही नया घर देने का भी ऐलान किया जा रहा है.

 

एक साक्षात्कार में जैसल बताते हैं, ‘जैसी कि हमें जानकारी मिली थी, वहां फंसी एक गर्भवती महिला को ब्लीडिंग होने लगी. मुझे ट्रॉमा केयर में इस बारे में प्रशिक्षण दिया जा चुका है और मैं जानता था कि प्रेग्नेंट महिला के लिए रेस्क्यू के दौरान पानी से सीधे नाव पर चढ़ना बहुत मुश्किल होगा. चूंकि व्यावहारिक रूप से इतने सारे लोगों के बीच गर्भवती महिला को पहचान पाना संभव नहीं था. इसलिए मैंने पानी में दंडवत होकर पेट के बल लेटने का फैसला किया. इससे वे सारे लोग मेरे शरीर के ऊपर से गुजरते हुए नाव पर आसानी से बैठ गए.’

 

वाह जैसल जी, पीठ की ऐसी सीढ़ी के बारे में हमने तो पहले कभी सुना भी नहीं था. जैसल अपने एक कमरे के घर में पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहते हैं. चेट्टिपडी के पास स्थित साधम बीच पर बने उनके घर की छत टपकती रहती है. पिछले 10 साल से वह राहत कार्यों में हिस्सा ले रहे हैं. पिछले साल आए ओखी चक्रवात में उनकी नाव बह गई थी. इसके बाद से उन्हें काफी कठिनाई से गुजर-बसर करनी पड़ रही है.

 

बाढ़ के पानी में डूबे घरों में अब सफाई अभियान में जुटे जैसल का कहना है, ‘जब समाज इतनी बड़ी आपदा से जूझ रहा हो, तो यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी और कर्तव्य है कि वह राहत कार्यों में हिस्सा लेते हुए लोगों की मदद करे.’

 

इस अनोखे मददगार के काम की सराहना करते हुए एक स्थानीय संगठन ने पहले ही जैसल को नया घर देने का प्रस्ताव रखा है. मशहूर मलयाली फिल्म डायरेक्टर विनयन ने जैसल को 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है.

 

जैसल जी, ये पुरस्कार और सम्मान आपको पाकर स्वयं सम्मानित हो जाएंगे. सचमुच आप आज के आरुणि हैं. हमारी बधाइयां व शुभकामनाएं भी स्वीकार कीजिए.

सबसे बड़ा धर्म इंसानियत की कुछ अन्य मिसालें भी सराहनीय हैं- 
वायनाड में बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई थी, लेकिन बाढ़ के सामने खड़ी एकता की ताकत सबसे मजबूत साबित होने लगी है. बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त मंदिर को मंदिर के पास स्थित मस्जिद के इमाम और मुस्लिम समुदाय के कई युवाओं ने मिलकर साफ कराया.

12 साल की एक बच्ची ने सबसे बड़ा दिल दिखाते हुए दिल की बीमारी से पीड़ित होते हुए भी क्राउड-सोर्सिंग के जरिए जोड़े 5000 रुपये बाढ़ पीड़ितों को देने का फैसला किया है.

तमिलनाडु की 9 साल की एक बच्ची अनुप्रिया ने टीवी पर केरल की तबाही देखने के बाद चार साल तक जमा की गई 9,000 रुपये की अपनी बचत दान कर दी. बच्ची ने साइकल खरीदने के लिए चार साल तक ये पैसे जमा किए थे.

स्कूल के बाद बाजार में मछलियां बेचकर घर चलाने वाली हनान ने मुख्यमंत्री राहत कोष में डेढ़ लाख रुपये दे दिए हैं. हनान का कहना है, ‘यह पैसा मुझे लोगों ने ही दिया था. अब जरूरतमंदों की मदद के लिए यही पैसा देकर मैं बहुत खुश हूं.’

कन्नूर जिले में दो बच्चों ने अपने पिता को मुख्यमंत्री राहत कोष में डोनेशन देने के लिए मना लिया. यह डोनेशन कुछ कम नहीं बल्कि 40 लाख रुपये की कीमत की एक एकड़ जमीन के रूप में था.

आज के आरुणि जैसल के साथ इन सभी को भी हमारी ओर से कोटिशः हार्दिक बधाइयां व शुभकामनाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “आज के आरुणि: जैसल

  • लीला तिवानी

    केरल बाढ़: आदेश का इंतजार किए बगैर जवान डूब चुके गांव में घुसे, 200 को बचाया, अपना खाना खिलाया

    केरल के सीएम पिनारयी विजयन ने कहा है कि बाढ़ में मदद करने वाले जवानों के लिए उनकी सरकार 26 अगस्त को अभिनंदन/विदाई समारोह का आयोजन करेगी। भारतीय सशस्त्र बलों के जवानों ने केरल बाढ़ में जिस अप्रतिम साहस और हौसले का परिचय देकर लोगों की जान बचाई है उसकी कहानियां सालों सुनाई जाएंगी। एक ऐसी ही घटना केरल के कन्नूर जिले के मोरकानीकारा इलाके में घटी जब अचानक बाढ़ का पानी घुस आया।

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