कविता

दर्द

दर्द बहुत ही होता है,कैसे लिखू कहानी को |
फूक रहे है बहुत से भाई ,अच्छी भली जवानी को ||

मर्द कहू नामर्द कहू ,मै बुजदिल शख्स बीमार कहू |
वो खुद की दुनिया फूक रहे ,की बिगड़ा मै परिवार कहू ||

जिस घर में है संस्कार नहीं ,वो रह सकता परिवार नहीं |
जहा छोटे बड़े का फर्क नहीं ,वो नरक है परिवार नहीं ||

अगर न सुधरे हो तो सुधरो,फिर से लिखो कहानी को |
दर्द बहुत ही होता है, कैसे लिखू कहानी को ||

नहीं दिख रही बहन है बेटी ,माता पिता का ध्यान नहीं |
संस्कार नहीं है घरो में इनके ,धर्म ग्रन्थ का ज्ञान नहीं ||

टूट गया तो नहीं जुड़ेगा , हिन्दू धर्म महान है |
इस धर्म को मत तोड़ो ,ये धर्म बहुत महान है ||

पीछे मुड़कर देख तुम लेना ,कभी भी नाना -नानी को |
दर्द बहुत ही होता है, कैसे लिखू कहानी को ||

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से