कविता

तेरी याद में

वो बीते पल बहुत तड़पती है,
जब याद तुम्हारी आती है।
मेरी आंखों में समाए दृश्य,
चुपके से कुछ कह जाती है।
अब तो बस जिंदा हूँ उन लम्हों के सहारे,
वर्ना जीना नहीं बिन प्रीत तुम्हारे।
तुमने ना निभाई मेरा साथ,
छुड़ाकर चली गई अपना हांथ।
अब जल्द बुला लो अपने पास,
नहीं आता अब ये जीवन रास।
अटकी हुई है अब मेरी सांसों में सांस,
बस तुझसे मिलने की रह गई है आस।

— ‘मृदुल ‘