दर्द
दर्द बहुत ही होता है,कैसे लिखू कहानी को |
फूक रहे है बहुत से भाई ,अच्छी भली जवानी को ||
मर्द कहू नामर्द कहू ,मै बुजदिल शख्स बीमार कहू |
वो खुद की दुनिया फूक रहे ,की बिगड़ा मै परिवार कहू ||
जिस घर में है संस्कार नहीं ,वो रह सकता परिवार नहीं |
जहा छोटे बड़े का फर्क नहीं ,वो नरक है परिवार नहीं ||
अगर न सुधरे हो तो सुधरो,फिर से लिखो कहानी को |
दर्द बहुत ही होता है, कैसे लिखू कहानी को ||
नहीं दिख रही बहन है बेटी ,माता पिता का ध्यान नहीं |
संस्कार नहीं है घरो में इनके ,धर्म ग्रन्थ का ज्ञान नहीं ||
टूट गया तो नहीं जुड़ेगा , हिन्दू धर्म महान है |
इस धर्म को मत तोड़ो ,ये धर्म बहुत महान है ||
पीछे मुड़कर देख तुम लेना ,कभी भी नाना -नानी को |
दर्द बहुत ही होता है, कैसे लिखू कहानी को ||
— हृदय जौनपुरी