कविता

माँ

अपनी आँखों से
काजल उतार कर
मेरे माथे पर
टिका लगाती|

मेरे होंठों पर लगे दूध को
अपने आँचल से पोछती
होठों से प्यार की चुम्बन
देती माथे पर
शुभ आशीष की तरह |

फिर भी माँ के मन मे
नजर ना लग जाए कहीं
भय समय रहता |

भले ही माँ भूखी हो
मुझे आई तृप्ति की डकार से
माँ संतुष्ट हो जाती |

आईने मे
संवारने लगी हूँ खुद को
क्योकि मे बड़ी जो हो गई |

पिया के घर
माँ की दी हुई पेटी
जब खोलकर देखती हूँ
उसमे रखे मेरे बचपन के अरमान
जिसे संजो के रखे थे मेने गुड्डे -गुडिया
कनेर के पांचे और खाना बनाने के खिलोने |

इन्हें पाकर मन संतुष्ट
लेकिन आँखे नम
आज माँ नहीं है
इस दुनिया मे |

अपनी बेटी के लिए
आज वही दोहरा रही हूँ
जो सीखा -संभाला था
अपनी माँ से मेने कभी |

संजय वर्मा ‘दृष्टी ‘

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच