बाल कथा – रस्साकशी का खेल
आज पार्क में बड़ी ही चहल पहल है। रविवार का दिन जो है। अपना होमवर्क करके सभी बच्चे खेलने आएं हैं। आज यहां रस्साकशी का खेल होगा।
बच्चों ने दो टीम बनाई हैं… एक का मुखिया है मोटू और दूसरी का पतलू। सभी बच्चे दो दो की टोली में आएंगे और फिर मोटू पतलू एक एक साथी को अपनी टीम में शामिल करेंगे।
चुनो चुनो भई हमे चुनो … कौन लेगा कम कौन लेगा ज्यादा?
मोटू ने लपक कर ज्यादा को अपनी ओर खींच लिया… बेचारे पतलू के पास कम पहुंच गया।
चुनो चुनो भई हमे चुनो… कौन लेगा तेज़ कौन लेगा धीरे? मोटू ने फिर बाज़ी मारी और तेज़ को अपनी ओर कर लिया … पतलू को तो धीरे मिला।
चुनो चुनो भई हमे चुनो… कौन लेगा भारी कौन लेगा हल्का? मोटू ने इस बार भारी चुना… पतलू को हल्का मिला।
चुनो चुनो भई हमे चुनो… कौन लेगा लम्बा कौन लेगा छोटा? मोटू ने इस बार लम्बा लिया पतलू के पास छोटू आ गया।
अब एक तरफ मोटू, ज्यादा,तेज़, भारी और लम्बा थे … तो दूसरी तरफ पतलू, कम, धीरे, हल्का और छोटा थे।
पतलू की टीम डर गई… रोने लगी… कहने लगी हम हार जायेंगे।
पतलू बोला डरो नही … जान लगा दो ध्यान लगा दो … एक बार बस प्राण लगा दो। दोस्तों जीत आकार या भार की नही होती बल्कि हिम्मत और हौसले की होती है। तैयार हो जाओ।
और फिर रस्साकशी का खेल शुरू हुआ। पतलू, कम, धीरे,हल्का और छोटे ने पूरे जोश और हिम्मत से रस्सी खींची और मोटू, ज्यादा,तेज़, भारी, और लंबू को हरा दिया।
तो बच्चों कभी भी समस्या का आकार रूप रंग देख कर डर मत जाना। अपनी हिम्मत और हौसलें के बल पर तुम किसी भी समस्या को हरा सकते हो।