कविता

छंद पंचचामर

शिल्प विधान- ज र ज र ज ग, मापनी- 121 212 121 212 121 2 वाचिक मापनी- 12 12 12 12 12 12 12 12

“छंद पंचचामर”

सुकोमली सुहागिनी प्रिया पुकारती रही।
अनामिका विहारिणी हिया विचारती रही।।
सुगंध ले खिली हुई कली निहारती रही।
दुलारती रही निशा दिशा सँवारती रही।।-1

बहार बाग मोरिनी कुलांच मारती रही।
मतंग मंद मालती सुगंध छाँटती रही।।
लुभा गए अनेक गुंज कुंज ताकती रही।
उड़ान के विचार में पतंग सारती रही।।-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ