कविता

कविता- आये वतन पे खतरा

आये वतन पे खतरा वो जान भी लगा दो ,
ये मुल्क के जवानो जंग का ज़ूनून भर लो ,

इसी जंग के कोने मे कही जन्नत नजर आयेगी ,
जंग आ ही जाये सर पे तो जुल्म भी तू कर ले ,

आजाद मुल्क है तो आजाद हम रहेगे ,
कुर्बानियो के खातिर , कफन का ताज धर लो ,

ये ज़मी तुम्हारा , ये आंसमा तुम्हारा ,
अपनी आबरू के खातिर , अरमान दिल मे भर लो ,

रश्के जीना वतन है , अपना इस ज़हाँ मे ,
पांसवा है हर जंवा , गुलिस्तान दिल मे भर लो ,

है नहीं जंहा मे कोई भी अपना मरहम ,
दर्दनिया के दिल मे रखकर उड़ान भर लो ,

मजहब की बात छोड़ो , हम साया है अपना ,
गुलशन मे बहुत फूल है सब फूलो से प्यार कर लो !

~ रूपेश कुमार

रूपेश कुमार

भौतिक विज्ञान छात्र एव युवा साहित्यकार जन्म - 10/05/1991 शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर),बी.एड(फिजिकल साइंस) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! प्रकाशित पुस्तक ~ *"मेरी कलम रो रही है", "कैसें बताऊँ तुझे", "मेरा भी आसमान नीला होगा", "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" *(एकल संग्रह) एव अनेकों साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे ! विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे सैकड़ो से अधिक कविता,कहानी,गजल प्रकाशित ! राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से सैकड़ो से अधिक सम्मान प्राप्त ! सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य) पता ~ ग्राम ~ चैनपुर  पोस्ट -चैनपुर, जिला - सीवान  पिन - 841203 (बिहार) What apps ~ 9934963293 E-mail - - rupeshkumar01991@gmail.com