मुक्तक/दोहा

सब सपनों के सौदागर हैं…


राजनीती की मंडी में, सब सपनों के सौदागर हैं,
वादों और इरादों वाले सब सपनों के सौदागर हैं।
सत्ता सुख पर ग्रहण लगे तो दुश्मन से गले मिले,
टुकड़े डाल घुमाने वाले सब सपनों के सौदागर हैं।।

जनता को क्यों शौक चढ़ा है जात-पात में बटनें का,
क्या नेताओं ने खौफ गढ़ा है जात-पात में बटनें का।
आपस के कुछ झगड़ों को जातीयता में मत ढालो,
सपनें सच करना हो तो ना जात-पात में बटनें का।।

कदम बढ़ा हुँकार करो, श्री राम नाम जयकार करो,
राम राज्य जो ला पाए उसे आगे बढ़ स्वीकार करो।
मायावी के माया से हमें बच-बच आगे बढ़ाना है,
श्री राम राज्य वैभव का मुक्त कंठ गुणगान करो।।

हर हर महादेव जो बोले, राम उसी के हो लेते,
श्री राम भक्त कष्टों को महादेव सहर्ष पी लेते।
गंगा जैसी पावन अब राजनीति ना मिलती है,
ढोंग रचाने वालों से प्रभु राम दूरियां कर लेते।।

प्रदीप कुमार तिवारी
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं