कविता

शहीद दिवस मनाना है

प्रेम दिवस पर गद्दारों ने जो प्रेम जताया ,

उस का जोश अभी दिखाना है।
हमे अब प्रेम दिवस नही शहीद दिवस मनाना है।

आज जो हुआ उस से
दिनकर का भी ह्रदय
भी विचलित हुआ होगा।
देख कर ये खूनी होली,
उस का भी दिल रोया होगा।
कैसे फिर दुश्मन ने घात लगाई है।
जब प्रेम में डूबी थी दुनियां,
मातृ -प्रेमियो ने अपनी जान गवाई हैं।
हद हो गयी इस हिंसा की,
जो गीदड़ की भांति
पीठ पर आघात करें।
अब कौन सा जोश दिल
में फिर आवाज करें।
कितनो के घर उजड़ गए आज
कितनो की मांग सुनी हुई।
कौन दे जवाब अब इस का।
दुःखी हो गया हर दिल आज।
अश्रुओ से मना वेलेंटाइन आज।
कितनो की मांग सुनी हुई।
कितनी चूड़ी टूट गई,
कितनी बहनों ने भाई को खोया।
कितने बाप ने बेटों को खोया।
कितने लाल जो पिता की राह तकते है।
कितने माताओ ने आज

अपने शिशु के लिए रुदन देखा होगा।
हर बात का प्रतिकार करो अब,

दुश्मन पर पटलवार करो अब।।
संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात

संध्या चतुर्वेदी

काव्य संध्या मथुरा (उ.प्र.) ईमेल sandhyachaturvedi76@gmail.com