सामाजिक

अप्रैल फूल बनाया!

1 अ‍प्रैल सोमवार को सेंसेक्स 39 हजार के उच्चतम स्तर को पार कर गया, जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है. सेंसेक्स 199 अंक तो निफ्टी 32 अंक उछलकर बंद हुआ। बाजार में तेजी की अहम वजह धातु, वाहन और दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में तेजी और वैश्विक संकेतों का सकारात्मक रुख है.

हमारी इस खबर को आप अप्रैल फूल बनाना तो नहीं समझे न! यह सौ फीसदी सही खबर बिलकुल उसी तरह, जिस तरह 1 अ‍प्रैल सोमवार को अप्रैल फूल्स डे मनाने का रिवाज-सा बन गया है. जी हां, 1 अप्रैल को अप्रैल फूल्स डे के तौर पर मनाया जाता है. आमतौर पर लोग अपने परिचितों को इस मौके पर अपनी शरारत से चौंकाते हैं. लीजिए हम आपको अप्रैल फूल्स डे के कुछ सच्चे किस्से सुनाते हैं.

1.​पेड़ों पर उगने वाली मकरोनी-

1957 में दुनिया के एक बड़े चैनल के न्यूज प्रोग्राम ने लोगों को बेवकूफ बना दिया। न्यूज के मुताबिक, स्विटजरलैंड के किसानों ने स्पेगहेटी की फसल उपजाई है. न्यूज चैनल को इसके बाद सैकड़ों कॉल आई जिनमें लोग पूछ रहे थे कि स्पेगहेटी का पेड़ कैसे उगाया जाता है. बाद में लोगों को पता चला कि वे तो अप्रैल फूल्स बन गए.

2.​बर्गर किंग ने भी फूल बनाया-
बर्गर किंग ने साल 1998 में अमेरिका के एक अखबार को विज्ञापन दिया. विज्ञापन में कंपनी ने लेफ्टी लोगों के लिए खास सैंडविच तैयार करने का दावा किया था. फिर क्या था हजारों लोगों ने नए सैंडविच का ऑर्डर कर दिया. अगले दिन पता चला कि बर्गर किंग ने तो बेवकूफ बनाया था.

3.​गधों की भव्य प्रदर्शनी-
लंदन के एक जिला इसलिंगटन के एक दैनिक समाचार पत्र ने 31 मार्च, 1864 को एक घोषणा की. उसके मुताबिक, अगले दिन कृषि भवन के सामने ‘गधों की एक भव्य प्रदर्शनी’ का आयोजन होगा. अगले दिन सुबह में बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए। बाद में पता चला कि वे तो खुद ‘गधे’ बन गए हैं.

4.​टॉपलेस महिलाओं का प्रदर्शन
स्विटजरलैंड के बर्न में साल 1979 में घोषणा की गई कि संसद भवन के बाहर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन होने जा रहा है. उसके मुताबिक, न्यूड बीच के समर्थन में महिलाएं टॉपलेस होकर प्रदर्शन करेंगी. यह घोषणा सुनकर सैकड़ों लोग संसद भवन के बाहर जमा हो गए, लेकिन वहां उनको कोई भी महिला नहीं मिली और ‘लौट के घर को बुद्धू आए’.

5.हैमस्टर के लिए वायग्रा-
साल 2000 में अमेरिका के एक बड़े अखबार में एक खबर छपी थी. खबर में चूहे जैसे एक जानवर हैमस्टर के लिए वायग्रा जैसी दवा विकसित करने के बारे में जिक्र था. उसके मुताबिक, फ्लोरिडा के शोधकर्ताओं ने उन चूहों के लिए वायग्रा जैसी दवा तैयार की है जो यौनेच्छा की कमी के शिकार हैं. खबर में यह भी था कि दवा की फेरलमोन के ब्रैंड नाम से मार्केटिंग की जाएगी. उसमें पशु मालिकों के लिए वायग्रा के इस्तेमाल के निर्देश भी लिखे थे. आप समझ ही गए होंगे, कि यह खबर भी अप्रैल फूल बनाने वाली ही निकली.

6.नॉर्वे में शराब के लिए कतार-
साल था 1950 का। दूसरे विश्व युद्ध को गुजरे कुछ ही साल हुए थे. नार्वे के एक अखबार में छपता है कि शराब की बिक्री पर सरकार के एकाधिकार से सरकार को फ्रांस से काफी शराब मिल गई है. उन शराबों को रखने के लिए बोतल उपलब्ध नहीं है. वैसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद बोतलों की कमी सामान्य बात थी. लोगों को लगा कि सही खबर है. खबर में एक ऑफर का भी जिक्र था. इसके मुताबिक, अगर लोग अपने साथ बाल्टी या कंटेनर लेकर जाएं तो उनको शराब मार्केट रेट से 75 फीसदी कम रेट पर मिल जाएगी. फिर क्या था लोगों को बाल्टी, कंटेनर जो कुछ भी हाथ लगा, लेकर पहुंच गए। बाद में लोगों को पता चला कि वे तो अप्रैल फूल बन गए.

 

इस 1 अप्रैल को आपके साथ क्या हुआ? कामेंट्स में यह बताना न भूलें.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “अप्रैल फूल बनाया!

  • लीला तिवानी

    अप्रैल फूल पर बीजेपी ने मनाया ‘राहुल दिवस’, कांग्रेस ने मनाया ‘मोदी डे’लोकसभा चुनाव हैं तो राजनीतिक दल एक-दूसरे पर हमले का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं। अप्रैल फूल दिवस बीजेपी-कांग्रेस के खाते में हमले का एक और बहाना लेकर आया। दोनों ही दलों ने अलग-अलग तरीके से हमला किया।

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