कविता

ऐ जिन्दगी बता

रेत पर लिखी इबारतों जैसी
तेरी बातें
उड़ जाती है हल्की सी हवा के
ऐ जिन्दगी बता तेरा वजूद क्या है ।

कागज़ पर स्याही से
रची कविता सी तू
मिट जाती है वक्त के साथ
ऐ जिन्दगी बता
तेरा वजूद क्या है ।

तपती धूप में जलती रेत सी
बादलों के स्नेह से नहा
मौन सी बस चलती जाती
ऐ जिन्दगी बता
तेरा वजूद क्या है ।

सुख के अहंकार में रची बसी
दुखों के दुराग्रह से
साथ शरीर का छोड़ जाती
ऐ जिन्दगी बता
तेरा वजूद क्या है।

ढ़लती काया के साथ
माया का मोह लिये
नहीं छोड़ती शरीर का साथ
फिर भी ले जाती मौत
ऐ जिन्दगी बता
तेरा वजूद क्या है ।

कहीं चिता पर
तो कहीं कफन में लपेटकर
दफन हो जाती
फिर मिल जाती मिट्टी में
ऐ जिन्दगी बता
तेरा वजूद क्या है ।

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - alpanaharsh0@gmail.com बीकानेर, राजस्थान