मुक्तक/दोहा

दोहे – भ्रूण हत्या और दहेज

बेटी का स्वागत करो,…ना कर तू संहार।
न हों धरा पर बेटियाँ, मिट जाये संसार।।

निर्मम हत्या भ्रूण की,….मत कर तू इंसान।
भ्रूण परीक्षण छोड दो, न लो उसकी जान।

भ्रूण हत्या तुम न करो, होकर तू नादान।
अस्तित्व न बेटी बगैर, अपने मन में ठान।

चंद दहेज की खातिर,.. रिश्तों को ना तोड़।
बहू तो घर की लक्ष्मी, ना उससे मुख मोड़।।

घर सहेजती है बहू,……..बहू से घर संसार।
शिक्षित बहू घर आएगी, निखरेगा परिवार।।

सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा

सुमन अग्रवाल "सागरिका"

पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी शिक्षा :-बी. ए. ग्रेजुएशन व्यवसाय :- हाउस वाइफ प्रकाशित रचनाएँ :- अनेक पत्र- पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित। सम्मान :- गीतकार साहित्यिक मंच द्वारा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उपाधि से सम्मानित, प्रभा मेरी कलम द्वारा लेखन प्रतियोगिता में उपविजेता, ताज लिटरेचर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, काव्य सागर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानीकार, साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, सहित्यपिडिया द्वारा लेखन प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। आगरा