जोरू के गुलाम
घर में अचानक मेहमान आ जाने के कारण माँ जी राशन लेने बाजार गई थी। सालों बाद भी लोगों ने
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Read Moreगुरु पद रज मैं मस्तक धारूँ , गुरु मेरा उद्धार करो । दुख संकट से आन् उबारो , प्रभु मुझ
Read Moreअनुज स्नेह। सात रंग मन में समाए हुए गत वर्ष जब पीहर में तुम्हारी कलाई पर राखी सजाई थी तो
Read Moreना किस्मत ना कोई, भाग्य हुआ करता है कर्मो का प्रतिफल, परिणाम हुआ करता है हर पल निज कर्मो की,
Read Moreआलोचना, समीक्षा या समालोचना का एक ही आशय है, समुचित तरीके से देखना जिसके लिए अंग्रेजी में ‘क्रिटिसिज़्म’ शब्द का
Read Moreमुस्कुराती सुबह, खिलखिलाती दुपहरी, सुरभित शाम,! वक्त लिख जाता, जब तुम्हारा नाम !! व्यस्ततम क्षण भी बढ़ाते हैं , यादों
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