कविता

दर्शनाभिलाषी

नदी जब सूख जाती
मछलिया हो जाती मृत
सूखी नदी से पुल का मान
घट जाता
संकेतक मुँह चिढ़ाते
पुल पर जब पानी हो
नदी पार करना मना
नदी सूखी तो
जीवन सूखा
लेकिन जब नदी आती
पुरे वेग से बहती नदी
देखने पूरा गाँव जाता
वेग ऊँचाई का मनन चलता
बहती नदी की ख़ुशी
लगता मानो त्यौहारों के मौसम में
लड़की का अपने मायके आना
सब हाल चाल पूछते
जैसे नदी का पूछा जाता
बारिश में
सौभाग्यशाली वे गाँव होते
जिनके किनारे बहती नदी
कभी क्रोधित हो जाती नदी
नदी में उड़ेला हो इंसानों ने कचरा
उफान से बहा ले जाती कचरा
हो जाते गाँव /शहर निर्मल
स्वच्छता का दायित्व
अपने कर्तव्य से
निभा जाती
पुल हो जाता बेबस
उसकी नहीं चलती
बहती नदी के सामने
नदी का वेग कम होने से
देती वो रास्ता पुल पार होने का
नदी कलकल के स्वर में गाती
नाव भी इठलाती
बिन पानी के नदियाँ
नदी नहीं कहलाती
नदियों को माँ का दर्जा
माँ के आँचल में सदा रहे
पूजा अर्चन करें
स्वच्छ रखे
ख्याल रखे
क्योकि है हम सब
दर्शनाभिलाषी

संजय वर्मा ‘दॄष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच