पर्यावरण

दिव्या का पत्र प्रधानमंत्री जी के नाम

सम्माननीय नरेंद्र मोदी साहब
माननीय प्रधानमंत्री ,भारत सरकार
 नई दिल्ली ( भारत)
विषय -:सम्पूर्ण भारत मे पॉलीथिन पर   प्रभावी प्रतिबंध व उपयोग पर कानून बनाये जाने , सजा के क्रम में ।
सर,
स्वत्रंत्रता दिवस व रक्षाबन्धन की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
गत 6 वर्षों में मैने आपको 50 से अधिक पत्र लिखे हैं ,औऱ जब तक मेरी भावना का सम्मान नही होगा ,मेरा लक्ष्य पूरा नही होगा में पत्र लिखती रहूंगी । मेरा विस्वास है मेरे पत्र आपको व , भारत सरकार को मिल रहे होंगे ।
माननीय प्रधानमंत्री जी मे गत 11 वर्षों से जबकि में मात्र 9 वर्ष की थी ,पॉलीथिन से मुक्ति का अभियान चला रही हूँ । क्योंकि मेने नन्ही अबोध उम्र में पॉलीथिन के दुष्प्रभाव को देखा है । मेने पॉलीथिन की थैलियों को खाने से एक गो माता को तड़प तड़प कर मरते देखा है । मेरे बाल मन पर पर उस पीड़ा का प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है और उसी ने मुझे यह अभियान चलाने को प्रेरित किया । वो पीड़ा ही मेरे पॉलीथिन मुक्ति का अभियान चलाने का कारण बनी ।
माननीय प्रधानमन्त्री जी मेने गत 11 वर्षों में जन चेतना जगाने का कार्य किया है । जन जन तक यह संदेश पहुँचाया है कि जल, थल, नभ, मानव स्वास्थ्य व गौ माता के लिए नुकसान का कारण बन रही है । हज़ारों पत्र मेने जिला , राज्य व राष्ट्र स्तर पर नेता , राजनेता मंत्री ,मुख्यमंत्री , केन्द्रीय मंत्री , प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति , राज्यपाल , अधिकारी , ngo , साधु संत सबको लिखे ,लिखती रहूंगी।  आपको भी मेने 50 से अधिक पत्र लिखे है । लिखती ही रहूंगी जब तक मेरा लक्ष्य पूरा नही हो जाता । में भारत की बेटी हु मेने हारना , व हार मानना नही सीखा है ।
माननीय प्रधानमंत्री जी जब एक रात में , एक आदेश में नोट बन्दी हो सकती है ,gst लग सकती है ,तीन तलाक बिल पास हो सकता है ,धारा 370 हट सकती है तो फिर पॉलीथिन पर प्रतिबंध क्यो नही । आखिर कब तक देश मानव स्वास्थ्य व स्वच्छता में बाधक कारण पॉलीथिन के दंश को झेलता रहेगा । माननीय प्रधानमंत्री जी सब सम्भव है मात्र इच्छा शक्ति की आवश्यकता है ओर वह आपमें विद्यमान है ।
मेरे प्रधानमन्त्री जी मुझ छोटी सी बालिका की भावना को मेरे लक्ष्य को मेरी जनहितकारी भावना को अवश्य सुनेंगे ऐसा मुझे विस्वास है । ।
माननीय प्रधानमंत्री जी मेरे पापा मुझे बताते है कि आज से 30 -35 साल पहले लोग पेपर , कागज ,कपड़े के बैग व कांच, स्टील के बर्तन में सामान लाते थे और उसमें शर्म नही गर्व का अनुभव करते थे । पर गत कुछ वर्षों में पॉलीथिन रूपी जहर ने उस संस्कृति को खतम कर दिया और हमे अपना गुलाम बना दिया । वो दिन वापस लाये जा सकते है । मात्र निर्णय लेने की आवश्यकता मात्र है । और मुझे विस्वास है वो आप अवश्य लेंगे । और यह रक्षाबंधन पर आपकी मुझे भेंट होगी यह मेरा उपहार होगा । और हां जब तक पॉलीथिन पर प्रतिबन्ध नही लगता में आपको पत्र लिखती रहूंगी , राखी भेजती रहूंगी उपहार मांगती रहूंगी । में रुकूँगी नही , थकूंगी नही झुंकुगी नही , डिगूँगी नही । आपको मेरी बात माननी ही होगी । क्योंकि में अपने लिए नही अपने देश के लिए , पर्यावरण की शुद्धि के लिए , स्वच्छ भारत के लिए , गौ माता के लिए , मां स्वास्थ्य के लिए कर रही हूँ ।माननीय मेरे देश मे स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है और यह अभियान पॉलीथिन पर रोक के बिना सफल कैसे होगा क्योंकि  स्वच्छता में सबसे बड़ी बाधा पॉलीथिन की थैलियां ही हैं । अतः मेरा निवेदन है कि रक्षाबन्धन पर इस छोटी सी बेटी को पॉलीथिन पर प्रतिबंध का उपहार दीजियेगा । में  उपहार का इंतजार करूँगी । ओर हा माननीय प्रधान मंत्री जी जिस प्रकार पूरे विश्व ने योग का लोहा माना है और वह विश्व योग दिवस के रूप में स्वीकार किया गया उसी प्रकार कोई एक दिन विश्व पॉलीथिन मुक्ति दिवस भी घोषित हो ।यह  मेरी भावना है ।
माननीय प्रधानमंत्री जी भारत देश को लोकसभाध्यक्ष के रूप में आपकी पारखी नजर ने हीरा प्रधान किया है । माननीय ओम बिरला साहब ने गत 2 माह में लोकसभा की कार्यवाही का जिस तरह संचालन किया है उसने पूरे भारत मे छाप छोड़ी है और फिर संसद में  स्वच्छता अभियान वृक्षारोपण का अभियान … । यह तो शुरुवात है ।
  मेरी देश हित की भावना का सम्मान होगा इसी पॉलीथिन मुक्ति की  भावना के साथ पुनःआशा व विस्वास के साथ  । सादर जय जिनेन्द्र , वंदेमातरम
                       निवेदक —
     पर्यावरण  मित्र दिव्या कुमारी जैन

दिव्या जैन

छात्रा- द्वितीय वर्ष कला 298 सेक्टर नं. 4, गांधीनगर चित्तौड़गढ़ (राज.) - 312001 मो. 9413817232