मुक्तक/दोहा

मुक्तक- आँचल

सूरज की तरह लगे मुझे माँ का #आँचल,
करता रहता रोशन मुझे हरदम,
मैं सूरज ना सही चिराग़ बनकर तो,
कर सकती हूँ घर को रोशन हरदम।

नूतन गर्ग (दिल्ली)

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक