कविता

दीये

कुम्हार बना मिट्टी से,मिट्टी के दीये बनाये।
अपने आप से अपने आप को बनाने के
हुनर से ‘ नीर ‘ का मन अचंबित हो जाये।।

जोड़ तोड़ करता जीवन को,फिर जीवन कैसे चलाये।
ईर्ष्या – द्वेष के धागों पर क्यों चतुराई के मोती चढ़ाये।।

जगमगाते दीयो ने कभी ना किसी से समझौता किया।
अपनी रौशनी से दूर-दूर तक खूब उजाला किया।।

अपने जीवन को तू कुम्हार के मन सा बना।
अपने कर्म से जग में सुंदर दीयो सा जगमगा।।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)