कविता

दीपावली

उज्जवल प्रज्जवल दीप जले
अंबर अवनी को रोशन करें।
श्री रामचंद्र को याद करें
जीवन के पंथ को आओ
एक नया उपवन प्रदान करें।
बन रहा जीवन जो
तम का गहरा अंधकार।
श्री राम के आदर्श जीवन से
मिले उपसंहार से
आओ उसे प्रकाशमान करें।
मन्न तन्न में जो पनप रहा
एक रावण स्वयं में।
आओ स्वयं श्री राम बन
उसका स्वयं ही संहार करें।

— राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233